शिमला: हिमाचल में जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने इस साल विधानसभा के विभिन्न सत्रों में कई बिल पास किए, लेकिन इनमें से दो बिल खास चर्चा में रहे. विधानसभा के मानसून सेशन में माननीयों के यात्रा भत्ते में बढ़ोतरी वाली खबर ने सबसे अधिक सुर्खियां बटोरीं. इसके अलावा जबरन धर्मांतरण के खिलाफ सख्त सजा के प्रावधान वाला बिल भी पास हुआ.
मानसून सेशन में कुल 9 बिल पास हुए. विपक्ष ने विधानसभा के पटल पर रखे गए सभी बिलों पर विरोध जताया. चूंकि सदन में भाजपा के पास पर्याप्त बहुमत है, लिहाजा किसी भी बिल के पास होने की राह में कोई रोड़ा नहीं आया.
सबसे पहले बात करेंगे उस बिल की, जिस पर सदन के भीतर और बाहर खूब हलचल मची. मीडिया में मुद्दा छाया रहा और जनता ने भी खासी नाराजगी जताई. ये बिल था माननीयों के यात्रा भत्ते में बढ़ोतरी वाला. इस बिल के तहत विधानसभा में प्रस्ताव पेश किया गया कि माननीयों का यात्रा भत्ता सालाना ढाई लाख से बढ़ाकर चार लाख कर दिया जाए. इस बिल पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्य खुशी-खुशी एकमत थे.
एकमात्र माकपा विधायक राकेश सिंघा ने इस पर विरोध जताया. कांग्रेस के विधायक सुखविंद्र्र सिंह सुक्खू और रामलाल ठाकुर ने बिल के पक्ष में जोरदार दलीलें दीं. रामलाल ठाकुर ने तो यहां तक कहा कि विधायकों का स्टेट्स राज्य के मुख्य सचिव के बराबर है, लिहाजा उन्हें मुख्य सचिव से एक रुपये अधिक वेतन मिलना चाहिए.
मुख्य सचिव का वेतन ढाई लाख रुपये मासिक है. विधायकों को वेतन व भत्तों सहित 2.10 लाख रुपये मासिक मिलते हैं. कांग्रेस की तरफ से विधानसभा अध्यक्ष राजीव बिंदल ने कहा कि आम आदमी पार्टी का उदय इन्हीं मुद्दों पर हुआ था. अब दिल्ली में दो विधानसभा क्षेत्रों पर एमएएल के लिए एक रिसर्चर की नियुक्ति है, जिसे एक लाख रुपये वेतन दिया जाता है.
दिल्ली में विधायकों को तीन लाख रुपये मासिक वेतन-भत्ते के रूप में मिलते हैं. बिल के प्रावधानों के अनुसार विधायकों से लेकर मंत्रियों व अन्य सभी माननीयों को अब सालाना चार लाख रुपये निशुल्क यात्रा भत्ता मिलेगा. इस सुविधा में विधायक के परिवार के साथ उनके अटैंडेंट को भी शामिल किया गया है. रेल, विमान के साथ टैक्सी से भी यात्रा खर्च की अधिकतम सीमा चार लाख होगी. टैक्सी का बिल चालीस हजार रुपये तक लिया जा सकेगा.
इसी तरह धर्मांतरण के खिलाफ सख्त सजा के प्रावधान का बिल पारित किया गया. इस बिल को राजभवन से मंजूरी मिल चुकी है और ये कानून बन चुका है. जबरन अथवा लालच देकर धर्मांतरण का दोषी पाए जाने पर सात साल की जेल होगी.
ये प्रावधान महिला, एससी, एसटी वर्ग के लिए किया गया है. कारण ये है कि धर्म परिवर्तन करवाने वाले समूहों का मुख्य निशाना महिलाएं व एससी-एसटी वर्ग के लोग होते हैं. सरकार ने इस अपराध को संज्ञेय (कॉगजिनेबल) श्रेणी में रखा है.
इससे अब सरकार के पास धर्म परिवर्तन करवाने में लिप्त पाई जाने वाली सामाजिक संस्थाओं, एनजीओ और अन्य संगठनों पर भी सीधी कार्रवाई का अधिकार होगा. शादी का झांसा देकर धर्म परिवर्तन करवाना, मनोवैज्ञानिक दबाव डालना, लालच देकर धर्म परिवर्तन करवाना भी अपराध होगा.
जानिए विभिन्न सत्रों में कौन से बिल पास हुए
बजट सत्र
हिमाचल प्रदेश विधानसभा का 13 दिवसीय बजट सत्र 4 फरवरी को शुरू हुआ. मात्र 13 बैठकों के अब तक के सबसे छोटे बजट सत्र में कई बिल पास हुए. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, जिनके पास वित्त विभाग है उन्होंने नौ फरवरी को बजट पेश किया.
संस्कृत बनी हिमाचल की दूसरी राजभाषा
सदन में संस्कृत भाषा को हिमाचल की दूसरी राजभाषा का दर्जा दिया गया. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सदन में हिमाचल प्रदेश राजभाषा (संशोधन) विधेयक -2019 रखा और संस्कृत की विशेशताओं को बताते हुए इसे संस्कृत कंप्यूटरीकरण में सुगम और अनुकूल बताया था.
कहा कि संस्कृत के व्याकरण में वैज्ञानिक शुद्धता है, इसलिए कई भारतीय भाषाएं इसी से उत्पन्न हुई हैं. यहां तक कि आज भी संस्कृत कंप्यूटरीकरण में सुगम और अनुकूल है. हिमाचल में हिंदी पहली राजभाषा है. इस विधेयक के पारित होने के बाद संस्कृत हिमाचल प्रदेश की दूसरी राजभाषा बन गई.
अटल जी के नाम पर प्रदेश की मेडिकल यूनिवर्सिटी
हिमाचल प्रदेश की मेडिकल यूनिवर्सिटी का नामकरण अटल आयुर्विज्ञान और अनुसंधान विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश किया गया. स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार ने बजट सत्र के दौरान मेडिकल यूनिवर्सिटी का नाम अटल जी से जोड़ने के लिए सदन में विधेयक रखा था जिसे बाद बहुमत से में पारित किया गया.
इस बिल को हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक 2019 नाम दिया गया. क्योंकि पूर्व की कांग्रेस सरकार ने हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय अधिनियम 2017 के रूप में इसके लिए कानून बनाया था. इसलिए इसमें बदलाव के लिए सदन में इसे संशोधित रूप से पेश किया गया.