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2019 में पास हुए कई बिल, माननीयों के यात्रा भत्ते में बढ़ोतरी और धर्मांतरण बिल रहा सुर्खियों में

जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने इस साल विधानसभा के विभिन्न सत्रों में कई बिल पास किए, लेकिन इनमें से दो बिल खास चर्चा में रहे. विधानसभा के मानसून सेशन में माननीयों के यात्रा भत्ते में बढ़ोतरी वाली खबर ने सबसे अधिक सुर्खियां बटोरीं. इसके अलावा जबरन धर्मांतरण के खिलाफ सख्त सजा के प्रावधान वाला बिल भी पास हुआ.

Bills passed during Vidhan Sabha in 2019
Bills passed during Vidhan Sabha in 2019

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Published : Dec 28, 2019, 1:25 PM IST

शिमला: हिमाचल में जयराम ठाकुर के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार ने इस साल विधानसभा के विभिन्न सत्रों में कई बिल पास किए, लेकिन इनमें से दो बिल खास चर्चा में रहे. विधानसभा के मानसून सेशन में माननीयों के यात्रा भत्ते में बढ़ोतरी वाली खबर ने सबसे अधिक सुर्खियां बटोरीं. इसके अलावा जबरन धर्मांतरण के खिलाफ सख्त सजा के प्रावधान वाला बिल भी पास हुआ.

मानसून सेशन में कुल 9 बिल पास हुए. विपक्ष ने विधानसभा के पटल पर रखे गए सभी बिलों पर विरोध जताया. चूंकि सदन में भाजपा के पास पर्याप्त बहुमत है, लिहाजा किसी भी बिल के पास होने की राह में कोई रोड़ा नहीं आया.

सबसे पहले बात करेंगे उस बिल की, जिस पर सदन के भीतर और बाहर खूब हलचल मची. मीडिया में मुद्दा छाया रहा और जनता ने भी खासी नाराजगी जताई. ये बिल था माननीयों के यात्रा भत्ते में बढ़ोतरी वाला. इस बिल के तहत विधानसभा में प्रस्ताव पेश किया गया कि माननीयों का यात्रा भत्ता सालाना ढाई लाख से बढ़ाकर चार लाख कर दिया जाए. इस बिल पर सत्ता पक्ष और विपक्ष के सदस्य खुशी-खुशी एकमत थे.

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एकमात्र माकपा विधायक राकेश सिंघा ने इस पर विरोध जताया. कांग्रेस के विधायक सुखविंद्र्र सिंह सुक्खू और रामलाल ठाकुर ने बिल के पक्ष में जोरदार दलीलें दीं. रामलाल ठाकुर ने तो यहां तक कहा कि विधायकों का स्टेट्स राज्य के मुख्य सचिव के बराबर है, लिहाजा उन्हें मुख्य सचिव से एक रुपये अधिक वेतन मिलना चाहिए.

मुख्य सचिव का वेतन ढाई लाख रुपये मासिक है. विधायकों को वेतन व भत्तों सहित 2.10 लाख रुपये मासिक मिलते हैं. कांग्रेस की तरफ से विधानसभा अध्यक्ष राजीव बिंदल ने कहा कि आम आदमी पार्टी का उदय इन्हीं मुद्दों पर हुआ था. अब दिल्ली में दो विधानसभा क्षेत्रों पर एमएएल के लिए एक रिसर्चर की नियुक्ति है, जिसे एक लाख रुपये वेतन दिया जाता है.

दिल्ली में विधायकों को तीन लाख रुपये मासिक वेतन-भत्ते के रूप में मिलते हैं. बिल के प्रावधानों के अनुसार विधायकों से लेकर मंत्रियों व अन्य सभी माननीयों को अब सालाना चार लाख रुपये निशुल्क यात्रा भत्ता मिलेगा. इस सुविधा में विधायक के परिवार के साथ उनके अटैंडेंट को भी शामिल किया गया है. रेल, विमान के साथ टैक्सी से भी यात्रा खर्च की अधिकतम सीमा चार लाख होगी. टैक्सी का बिल चालीस हजार रुपये तक लिया जा सकेगा.

इसी तरह धर्मांतरण के खिलाफ सख्त सजा के प्रावधान का बिल पारित किया गया. इस बिल को राजभवन से मंजूरी मिल चुकी है और ये कानून बन चुका है. जबरन अथवा लालच देकर धर्मांतरण का दोषी पाए जाने पर सात साल की जेल होगी.

ये प्रावधान महिला, एससी, एसटी वर्ग के लिए किया गया है. कारण ये है कि धर्म परिवर्तन करवाने वाले समूहों का मुख्य निशाना महिलाएं व एससी-एसटी वर्ग के लोग होते हैं. सरकार ने इस अपराध को संज्ञेय (कॉगजिनेबल) श्रेणी में रखा है.

इससे अब सरकार के पास धर्म परिवर्तन करवाने में लिप्त पाई जाने वाली सामाजिक संस्थाओं, एनजीओ और अन्य संगठनों पर भी सीधी कार्रवाई का अधिकार होगा. शादी का झांसा देकर धर्म परिवर्तन करवाना, मनोवैज्ञानिक दबाव डालना, लालच देकर धर्म परिवर्तन करवाना भी अपराध होगा.

जानिए विभिन्न सत्रों में कौन से बिल पास हुए

बजट सत्र
हिमाचल प्रदेश विधानसभा का 13 दिवसीय बजट सत्र 4 फरवरी को शुरू हुआ. मात्र 13 बैठकों के अब तक के सबसे छोटे बजट सत्र में कई बिल पास हुए. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर, जिनके पास वित्त विभाग है उन्होंने नौ फरवरी को बजट पेश किया.

संस्कृत बनी हिमाचल की दूसरी राजभाषा
सदन में संस्कृत भाषा को हिमाचल की दूसरी राजभाषा का दर्जा दिया गया. मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सदन में हिमाचल प्रदेश राजभाषा (संशोधन) विधेयक -2019 रखा और संस्कृत की विशेशताओं को बताते हुए इसे संस्कृत कंप्यूटरीकरण में सुगम और अनुकूल बताया था.

कहा कि संस्कृत के व्याकरण में वैज्ञानिक शुद्धता है, इसलिए कई भारतीय भाषाएं इसी से उत्पन्न हुई हैं. यहां तक कि आज भी संस्कृत कंप्यूटरीकरण में सुगम और अनुकूल है. हिमाचल में हिंदी पहली राजभाषा है. इस विधेयक के पारित होने के बाद संस्कृत हिमाचल प्रदेश की दूसरी राजभाषा बन गई.

अटल जी के नाम पर प्रदेश की मेडिकल यूनिवर्सिटी
हिमाचल प्रदेश की मेडिकल यूनिवर्सिटी का नामकरण अटल आयुर्विज्ञान और अनुसंधान विश्वविद्यालय हिमाचल प्रदेश किया गया. स्वास्थ्य मंत्री विपिन सिंह परमार ने बजट सत्र के दौरान मेडिकल यूनिवर्सिटी का नाम अटल जी से जोड़ने के लिए सदन में विधेयक रखा था जिसे बाद बहुमत से में पारित किया गया.

इस बिल को हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक 2019 नाम दिया गया. क्योंकि पूर्व की कांग्रेस सरकार ने हिमाचल प्रदेश स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय अधिनियम 2017 के रूप में इसके लिए कानून बनाया था. इसलिए इसमें बदलाव के लिए सदन में इसे संशोधित रूप से पेश किया गया.

गोजातीय प्रजनन विधेयक 2019
प्रदेश में देसी गायों की नस्ल को बढ़ावा देने और इस नस्ल को सुरक्षित रखने के लिए विधानसभा में हिमाचल प्रदेश गोजातीय प्रजनन विधेयक 2019 पारित किया गया. इस विधेयक में ये स्पष्ट किया गया कि पशुपालकों को देसी बैलों का मिलावटी वीर्य उपलब्ध करवाया गया तो इस पर तीन साल कठोर कारावास और एक लाख से पांच लाख तक जुर्माने का प्रावधान होगा.

इस बिल को जब पशुपालन मंत्री वीरेंद्र कंवर ने सदन के पटल पर रखा और उसकी जानकारी देते हुए बताया था कि हिमाचल में केवल उसी नस्ल का वीर्य शुक्राणु केंद्र में उपलब्ध करवाएंगे, जिसकी अनुमति होगी. इसके बाद केंद्र सरकार ने भी प्रदेश में वर्गीकृत वीर्य (सेक्स सॉर्टेड सीमेन) परियोजना को मंजूरी प्रदान कर दी है, ताकि देसी नस्ल के पशुओं को बढ़ावा दिया जा सके.

मानसून सत्र

हिमाचल विधानसभा का मानसून सत्र 19 अगस्त को शुरू होकर 31 अगस्त तक चला. यह सत्र पिछले पांच साल में सबसे लंबा मानसून सत्र रहा. इस सत्र के दौरान जयराम सरकार ने कई महत्वपूर्ण बिला पास किए

जबरन धर्मांतरण पर रोक

हिमाचल विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान महत्वपूर्ण, धर्मांतरण के खिलाफ सख्त सजा के प्रावधान का बिल पारित किया गया. सदन में धर्म की स्वतंत्रता विधेयक-2019 को पारित किया गया. इस बिल के पास होने से हिमाचल प्रदेश में अब जबरन धर्मांतरण पर रोक रहेगी.

नए कानून के प्रावधानों के तहत जबरन धर्मांतरण पर तीन माह से 7 साल तक की सजा दी जाएगी. अलग-अलग वर्गों और जातियों के लिए यह प्रावधान किए गए हैं. इससे पहले, 2006 के एक्ट में दो साल की सजा होती थी. ये प्रावधान महिला, एससी, एसटी वर्ग के लिए किया गया है. कारण ये है कि धर्म परिवर्तन करवाने वाले समूहों का मुख्य निशाना महिलाएं व एससी-एसटी वर्ग के लोग होते हैं. सरकार ने इस अपराध को संज्ञेय (कॉगजिनेबल) श्रेणी में रखा है.

लोक सेवा गारंटी अधिनियम
मानसून सत्र के दौरान जयराम सरकार ने एक और महत्वपूर्ण संशोधित बिल को पास किया जो साल 2011 से बिना अधिसूचना अधिनियम का रूप ले चुका था और प्रदेश में इसे लागू कर दिया गया था. इसे लेकर खुद मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने भी स्वीकारा कि यह एक बड़ी चूक थी और इसे अब सरकार ने सुधार लिया है.

इस विधेयक को सितंबर 2011 को राजपत्र में अधिसूचित किया गया था. अब अधिनियम के अधीन 24 सितंबर 2011 को या उसके बाद किए गए समस्त आदेशों, अधिसूचनाओं और कार्रवाइयों को सभी प्रायोजनों के लिए अधिसूचित किया गया समझा जाएगा.

प्रशासनिक ट्रिब्यूनल के मामले HC शिफ्ट होंगे
विधानसभा में हिमाचल प्रदेश प्रशासनिक अधिकरण (विनिश्चित मामलों और लंबित आवेदनों का अंतरण) विधेयक 2019 भी पारित किया गया. हिमाचल में प्रशासनिक ट्रिब्यूनल बंद होने के बाद कर्मचारियों से जुड़े लंबित मामलों को हाईकोर्ट में भेजा जाएगा. इस संबंध में विधानसभा के मानसून सत्र में विधेयक पारित कर दिया गया है.

अधिवक्ता कल्याण निधि विधेयक पारित
हिमाचल की जयराम सरकार ने मानसून सत्र में हिमाचल प्रदेश अधिवक्ता कल्याण निधि (संशोधन) विधेयक को पारित किया. इस बिल के मुताबिक प्रदेश में वकीलों की मृत्यु होने या गंभीर रोगों से ग्रस्त होने की सूरत में वित्तीय मदद बढ़ाई गई है. इस विधेयक में निधि में बढ़ोतरी की गई है.

इस विधेयक के पारित होने के बाद प्रदेश में काम कर रहे वकीलों की मृत्यु पर वित्तीय मदद 1.50 लाख रुपये से बढ़ाकर 2.25 लाख रुपये तक करने के अलावा गंभीर बीमारियों से पीड़ित वकील को 25 हजार की जगह एक से दो लाख रुपये तक देने जैसे प्रावधान किए गए हैं.

शीत सत्र
हिमाचल विधानसभा का शीत सत्र धर्मशाला के तपोवन स्थित विधासभा सदन में 9 से 14 दिसंबर तक चला. इस सत्र के दौरान केवल एक बिल पास किया गया. छह दिवसीय इस सत्र के दौरान विपक्ष सत्ता पक्ष पर हमलावर रहा. वहीं, सत्र के दौरान विपक्ष ने चार बार सदन से वॉकआउट किया.

उद्योगों के लिए 3 साल के एनओसी की शर्त खत्म
हिमाचल प्रदेश में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों की स्थापना और प्रचालन का सरलीकरण विधेयक-2019 को पारित किया गया. हालांकि विपक्ष ने इस बिल का पूरजोर विरोध किया, लेकिन बहुमत वाली जयराम सरकार ने सदन में इस बिल को मंजूरी दे दी.

निवेशकों को आकर्षित करने के लिए लाए गए एनओसी खत्म करने वाले इस बिल के विरोध में कांग्रेस विधायकों ने सदन का वॉकआउट कर दिया. इसके बाद इस बिल को बगैर विपक्ष के ही सत्ता पक्ष ने ध्वनिमत से पारित कर दिया. उद्योगों के लिए तीन साल के एनओसी की शर्त खत्म करने के इस बिल को प्रदेश सरकार ने 16 दिसंबर को अधिसूचितभी कर दिया है.

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