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माता-पिता निभा रहे कोरोना योद्धा होने का फर्ज, बेटी ने CBSE 12वीं में टॉप कर किया नाम रोशन

सीबीएसई की ओर से घोषित 12 वीं कक्षा के परीक्षा परिणाम में विज्ञान संकाय में शिमला के जेसीबी स्कूल की भव्या शर्मा ने प्रदेशभर में पहला स्थान हासिल किया है. भव्या ने बाहरवीं की परीक्षा 98 फीसदी अंकों के साथ पास की है. भव्या के माता-पिता रोना योद्धा की भूमिका निभाते हुए शिमला के आईजीएमसी अस्पताल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.

CBSC 12th
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Published : Jul 15, 2020, 4:32 PM IST

शिमला: सीबीएसई की ओर से घोषित 12 वीं कक्षा के परीक्षा परिणाम में विज्ञान संकाय में शिमला के जेसीबी स्कूल की भव्या शर्मा ने प्रदेशभर में पहला स्थान हासिल किया है. भव्या के माता-पिता दोनों ही कोरोना योद्धा की भूमिका निभाते हुए शिमला के आईजीएमसी अस्पताल में अपनी सेवाएं दे रहे है. वहीं, बेटी ने प्रदेशभर में टॉप करके अपने अभिभावकों का नाम रोशन किया है.

भव्या ने बाहरवीं की परीक्षा 98 फीसदी अंकों के साथ पास की है. भव्या ने अपनी सफलता का श्रेय माता-पिता और अपने शिक्षकों को दिया है. भव्या ने कहा कि कोविड के कारण उसके माता-पिता अस्पताल में ज्यादा समय दे रहे है, जिस कारण वह उन्हें कम समय दे पाते थे. घर पहुंचने पर माता-पिता उनसे पढ़ाई के बारे में जरूर पूछते थे.

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भव्या को उम्मीद नहीं थी कि वह प्रदेश में पहला स्थान हासिल करेगी, लेकिन उनकी मेहनत रंग लाई है. भव्या ने इस मुकाम को हासिल करने के लिए कड़ी मेहनत की है. भव्या का कहना है कि स्कूल में जो कुछ भी पढ़ाया जाता है, उसे वह घर पहुंच कर जरूर पढ़ती थी. इससे पढ़ाई बोझ नहीं लगती और सिलेबस भी समय पर कवर हो गया.

भव्या भविष्य में अपने अभिभावकों की तरह डॉक्टर बनना चाहती है, जिसके लिए भव्या नीट की परीक्षा की तैयारी भी कर रही है. भव्या के पिता डॉ. राजेश शर्मा आईजीएमसी में एसोसिएट प्रोफेसर के पद पर कार्यरत है और माता डॉ. वनिता शर्मा माइक्रोबायोलॉजी विभाग में कार्यभार संभाल रहीं हैं. कोविड-19 संकट के बीच दोनों ही अस्पताल में अपनी ड्यूटी दे रहे हैं. दोनों ही अपनी बेटी की परफॉर्मेंस से बेहद खुश हैं.

भव्या के पिता का कहना है वह कोविड-19 के इस संकट के बीच अपनी ड्यूटी के चलते बच्चों को कम समय दे पा रहे हैं. कोरोना वायरस की वजह से अस्पतालों में अधिक समय देना पड़ रहा है. उनकी पत्नी को माइक्रोबायोलॉजी विभाग में कार्यरत होने के चलते लगातार 12 घंटे की ड्यूटी देनी पड़ती है.

ऐसे में बच्चों को पढ़ाने के लिए वक्त निकाल पाना थोड़ा मुश्किल होता है. बावजूद इसके भी उनका प्रयास रहता है कि वह बच्चों के साथ समय बिताएं ओर उनकी पढ़ाई के बारे में बात करें. उन्होंने कहा कि इस दौरान दादा-दादी का साथ बच्चों को मिला और भव्या अपने सपने को पूरा कर पाई है.

उन्होंने कहा कि उन्हें भरोसा था कि भव्या अपनी मेहनत से बेहतर अंक हासिल करेगी. इसके लिए उन्होंने उस पर कोई दवाब नहीं बनाया.बच्चों पर ना बनाए किसी तरह का कोई दवाबभव्या के पिता ने सभी अभिभावकों को संदेश दिया है कि बच्चों पर किसी भी तरह का दबाव ना रखें. बच्चे जो करना चाहते हैं, उसमें उनका पूरा सहयोग दें तभी वह अच्छा प्रदर्शन कर पाएंगे.

उन्होंने कहा कि भव्या पर डॉक्टर बनने का या कुछ और बनने का उन्होंने कभी कोई दवाब नहीं डाला. वह जो बनाना चाहती है उसके लिए वह भव्या को पूरा सहयोग करेंगे.

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