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गुरुद्वारा साहिब में बैसाखी पर नहीं हुआ कोई आयोजन, कर्फ्यू के नियमों का रखा गया ध्यान - गुरुद्वारा साहिब में बैसाखी पर नहीं हुआ कोई आयोजन

कोरोना की वजह से सभी मंदिर, मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारे बंद कर दिए गए हैं. यही वजह भी रही कि आज बैसाखी के दिन पर भी सिख समुदाय के लोग गुरुद्वारे में एकत्र नहीं हुए. गुरु सिंह सभा के अध्यक्ष जसविंदर सिंह ने बताया कि कोरोना की वजह से इस बार गुरुद्वारे में बैसाखी का पर्व नहीं मनाया गया.

baisakhi festival was not celebrated due to curfew in Shimla
गुरुद्वारा साहिब में बैसाखी पर नहीं हुआ कोई आयोजन

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Published : Apr 13, 2020, 8:55 PM IST

शिमलाःकोरोना संकट के चलते गुरुद्वारा साहिब में बैशाखी पर इस बार कोई रौनक नजर नहीं आई. हर साल गुरुद्वारा साहिब ओल्ड बस स्टैंड में बैसाखी का पर्व बड़ी धूमधाम से मनाया जाता था और शब्द कीर्तन का आयोजन किया जाता था. वहीं इस बार कोरोनी की वजह से गुरु सिंह सभा ने बैसाखी का पर्व नहीं मनाया. 9 बजे गुरुद्वारा साहिब में मात्र भोग लगाया गया और किसी भी तरह का कोई बड़ा आयोजन नहीं किया गया.

कोरोना की वजह से सभी मंदिर, मस्जिद, चर्च और गुरुद्वारे बंद कर दिए गए हैं. यही वजह भी रही कि आज बैसाखी के दिन पर भी सिख समुदाय के लोग गुरुद्वारे में एकत्र नहीं हुए. गुरु सिंह सभा के अध्यक्ष जसविंदर सिंह ने बताया कि कोरोना की वजह से इस बार गुरुद्वारे में बैसाखी का पर्व नहीं मनाया गया. प्रधानमंत्री के आदेशों के अनुसार हमने लॉकडाउन का पूरी तरह से पालन किया है.

अकाल तख्त साहिब जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह जी ने भी हिदायत थी कि बैसाखी का पर्व नहीं मनाया जाएगा. इसी को लेकर एक हफ्ता पहले ही सभी संगत को लिखित में यह सूचना दे दी गई थी कि बैसाखी का पर्व अपने-अपने घरों पर ही मनाएं. घर पर ही पाठ करें और सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह से पालन करें.

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उन्होंने कहा कि सभी लोगों से सहयोग करने की अपील की गई थी, जिससे कि कोरोना वायरस को फैलने से रोका जाए. उन्होंने कहा कि गुरुद्वारा साहिब में इन दिनों मात्र जरुरतमंदों के लिए ही लंगर लगाया जाता है. एक हजार के करीब लोग यहां लंगर का प्रसाद ग्रहण कर रहे हैं. जरुरतमंदों को पैक्ड फूड भी दिया जा रहा है, जिससे संकट के इस समय में कोई भूखा न रहे.

बता दें कि हर बार बैसाखी का पर्व सिख समुदाय की ओर से बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है. इस दिन पर गुरुद्वारा साहिब में सुबह 5 बजे से ही शब्द कीर्तन का आयोजन किया जाता था और यह क्रम शाम 4 बजे तक लगातार चलता था. बाहर से काफी संख्या में रागी जत्थों को बुलाया जाता था और गुरुद्वारा साहिब को भव्य तरीके से सजाया जाता था. लेकिन कोरोना की वजह से इस बार बैसाखी पर इस तरह का भव्य आयोजन नहीं हो पाया.

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