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सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में शिखर पर हिमाचल, 99.6 प्रतिशत बच्चों की स्कूलों में एनरोलमेंट - Shimla

एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (ASER) की 13वीं रिपोर्ट में ये आंकड़े सामने आए हैं कि हिमाचल क्वालिटी एजुकेशन के मामले में नंबर एक पर है. यह सर्वे एक गैर सरकारी संस्था प्रथम द्वारा 2005 से हर वर्ष ग्रामीण भारत में करवाया जाता है.

सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में शिखर पर हिमाचल

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Published : Feb 18, 2019, 7:46 PM IST

शिमलाः सरकारी स्कूलों में शिक्षा की क्वालिटी के मामले में हिमाचल प्रदेश देशभर में पहले स्थान पर है. यह बात एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट (ASER) की 13वीं रिपोर्ट में सामने आई है. यह सर्वे एक गैर सरकारी संस्था प्रथम द्वारा 2005 से हर वर्ष ग्रामीण भारत में करवाया जाता है.

ये सर्वे देश में बच्चों का सबसे बड़ा वार्षिक घरेलू सर्वेक्षण है जो स्कूली शिक्षा और बुनियादी शिक्षा की स्थिति पर केंद्रित है. सर्वे के अनुसार हिमाचल के स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार बच्चों की पाठ्यपुस्तकें पढ़ने और अंकगणित में ज्ञानवृद्धि के कारण हुआ है, और अगर हिमाचल में 14 से 16 उम्र तक की बात करें तो इस मामले में लड़कियां लड़कों को पिछे छोड़ रही हैं.

हिमाचल में ऐसी लड़कियों की संख्या लड़कों से अधिक है जो पाठ्यपुस्तकों को आसानी से पढ़ लेती हैं और अंकगणित में भी ठीक हैं. साथ ही हिमाचल प्रदेश में 99.7 प्रतिशत स्कूलों में शौचालय सुविधा उपलब्ध है और 6 से 14 वर्ष तक 99.6 प्रतिशत बच्चों की स्कूलों में एनरोलमेंट है.

इस सर्वे में हिमाचल प्रदेश के सभी 12 जिलों से 348 गांवों में से 7,105 परिवारों के 9,811 बच्चों को शामिल किया गया था. सर्वे में 3 से 16 साल तक की उम्र के बच्चों का शामिल किया गया. जिनमें 3 से 5 वर्ष के 1,782 बच्चे, 6 से 14 वर्ष के 6,876 बच्चे और 1,153 बच्चे 15 से 16 उम्र के शामिल किए गए हैं.

रिपोर्ट के अनुसार पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाले ऐसे बच्चों के संख्या में भारी वृद्धि हुई है जो दूसरी कक्षा की पाठ्यपुस्तकें आसानी से पढ़ लेते हैं. पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाले प्रदेश के करीब 74.5 प्रतिशत बच्चे ऐसे हैं जो दूसरी कक्षा की पाठ्यपुस्तकें आसानी से पढ़ लेते हैं.

सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता में शिखर पर हिमाचल

यह संख्या पिछले वर्ष की तुलना में 8 प्रतिशत अधिक है जिसके कारण हिमाचल अन्य प्रदेशों के मुकाबले शिक्षा की गुणवत्ता में सर्वोच्च स्थान पर आया. जबकी 2016 में 65.3 प्रतिशत पांचवीं के बच्चे ही दूसरी कक्षा की किताबें पढ़ सकते थे.

इसके अलावा प्रदेश के सरकारी स्कूल में 47.4 प्रतिशत तीसरी कक्षा के बच्चे दूसरी कक्षा की किताबें आसानी से पढ़ सकते है और इस श्रेणी में भी हिमाचल प्रदेश देशभर में प्रथम स्थान पर है. जबकी उत्तर प्रदेश इस श्रेणी में 12.3 प्रतिशत के साथ अंतिम स्थान पर है.

अंकगणित में भी हिमाचल के सरकारी स्कूलों में बच्चों के स्तर में सुधार हुआ है पांचवीं कक्षा के ऐसे बच्चे जो विभाजन के प्रश्न हल कर लेते हैं हिमाचल में 51.5 प्रतिशत हैं इस श्रेणी में भी हिमाचल प्रथम स्थान पर है जबकी पंजाब में बच्चों की यह संख्या 50.1 प्रतिशत है 2016 में यह संख्या हिमाचल के स्कूलों में 47.4 और पंजाब में 42.4 प्रतिशत थी.

इसके अलावा उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, छत्तिसगढ़, कर्नाटक, केरल, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और आंध्र प्रदेश राज्य ऐसे हैं जिनमें 2016 की तुलना में 2018 तक 5 प्रतिशत का सुधार हुआ है और क्रमश हिमाचल और पंजाब के बाद आते हैं. जबकी देश की राष्ट्रीय औसत इस वर्ग में 22.7 प्रतिशत है.

सर्वे में चिंताजनक बात यह भी सामने आई है कि सरकारी स्कूलों की तुलना में प्राइवेट स्कूलों में अधिक बच्चों ने प्रवेश लिया है. हिमाचल प्रदेश, जम्मू और कश्मीर, बिहार और गुजरात राज्यों में 2016 की तुलना में 2018 में प्राइवेट स्कूल में 2 प्रतिशत अधिक बच्चों ने प्रवेश लिया है.

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