शिमला: आज मोदी कैबिनेट का विस्तार हो गया है. अनुराग ठाकुर ने कैबिनेट मंत्री की शपथ ली है. अनुराग ठाकुर हिमाचल के यूथ आइकॉन के रूप में स्थापित हैं. अगले साल हिमाचल में विधानसभा चुनाव हैं. ऐसे में अनुमान लगाया जा रहा है कि केंद्र में उनका कद बढ़ने पर विधानसभा चुनाव में इसका लाभ पार्टी उठा सकती है.
आज अनुराग ठाकुर देशभर में जाना पहचाना नाम है. धूमल के बड़े बेटे से अनुराग ठाकुर बनने का सफर अनुराग ने अपने बूते पर तय किया. उन्होंने कभी भी अपने पिता एवं दो बार प्रदेश के सीएम रहे प्रेम कुमार धूमल की छवि का कभी इस्तेमाल नहीं किया. अनुराग का रुतबा इतना बढ़ चुका है कि अपनी ही पार्टी के शीर्ष नेता उन्हें अपनी कुर्सी के लिए खतरा मानते हैं.
अनुराग ठाकुर 25 साल की उम्र में एचपीसीए के अध्यक्ष बने थे. धर्मशाला में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट स्टेडियम बनाने का सपना देखा. अनुराग के इस सपने का विपक्षी लोग ये कहकर मजाक उड़ाते थे कि स्टेडियम वो भी हिमाचल में....खैर अनुराग ने धर्मशाला में क्रिकेट स्टेडियम बनाकर सबके मुंह पर ताले लगा दिए. जो अनुराग का मजाक उड़ाते थे वो बाद में स्टेडियम में मैच भी देखने गए.
क्रिकेट भारत में धर्म की तरह पूजा जाता है. धर्मशाला में बने क्रिकेट स्टेडियम ने अनुराग को हिमाचल में यूथ आइकॉन बना दिया. इसी क्रिकेट के स्टेडियम से अनुराग ठाकुर ने राजनीति का मास्टर स्ट्रोक लगाया और क्रिकेट खिलाड़ी से राजनीति की पिच पर नई पारी 2008 में शुरू की थी. अब तक ये पारी शानदार रही है. विपक्षी टीम का कोई भी खिलाड़ी अनुराग की इस शानदार पारी का सामना नहीं कर पाया. इसके बाद वीरभद्र सरकार ने 2012 में सत्ता में वापसी के बाद धर्मशाला क्रिकेट स्टेडियम पर उंगली उठा दी.
वर्ष 2012 में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद विजिलेंस ने 1 अगस्त 2013 को एफआईआर नंबर 12-2013 के तहत धर्मशाला थाना में आपराधिक षडयंत्र रचकर सरकारी जमीन हथियाने का आरोप लगाते हुए केस दर्ज किया. इसमें कुल 17 लोगों को आरोपी बनाया गया. इनमें प्रेम कुमार धूमल, अनुराग ठाकुर, अरुण धूमल, अफसरों में दीपक सानन, अजय शर्मा और गोपाल चंद और शेष एचपीसीए के पदाधिकारी थे. सह आरोपियों में आईएएस अफसरों टीजी नेगी, सुभाष आहलूवालिया, आरएस गुप्ता और सुभाष नेगी को कॉलम नंबर 12 में रखा गया था.
बैसे भी कुछ वर्ष पहले धूमल और वीरभद्र परिवारों के बीच तल्खी कई दफा सामने आई. एचपीसीए मामला इसी तल्खी का नतीजा था. वीरभद्र सिंह की सरकार ने सत्ता में आने के बाद अपने से पहले की धूमल सरकार को घेरने के लिए एचपीसीए को हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया. प्रेम कुमार धूमल व अनुराग ठाकुर को कानूनी पचड़ों में फंसाने के लिए वीरभद्र सरकार ने पानी की तरह पैसा बहाया. यही नहीं, वीरभद्र सिंह के नेतृत्व वाली सरकार ने एचपीसीए केस को अंजाम तक पहुंचाने के लिए कांग्रेस के तीन बड़े नेताओं को हायर किया.