शिमला:फर्जी सर्टिफिकेट से डाक विभाग में नौकरी पाने के आरोपी को प्रदेश उच्च न्यायालय से अग्रिम जमानत मिल गई है. न्यायाधीश संदीप शर्मा ने मामले से जुड़े रिकॉर्ड का अवलोकन करने के पश्चात प्रार्थी को अग्रिम जमानत पर रिहा करने के आदेश पारित कर दिए. आरोप है कि मंडी जिले के सरकाघाट के रहने वाले आरोपी मनीष कुमार ने झारखंड अकादमिक काउंसिल शिक्षण संस्थान ज्ञानदीप कैंपस के नाम से दसवीं का फर्जी सर्टिफिकेट बनवाया था.
573 अंकों वाली मार्क्सशीट तैयार की: 600 में 573 अंकों वाली मार्क्सशीट भी तैयार कर ली. इसी मार्क्सशीट से मेरिट के आधार पर उसने घणाहट्टी स्थित देवनगर शाखा में ग्रामीण डाक सेवक की नौकरी हासिल कर ली. विभाग ने जब दस्तावेज सत्यता जांच के लिए झारखंड के शिक्षण संस्थान को भेजे तो वहां मनीष का सर्टिफिकेट पंजीकृत ही नहीं था.
डाक विभाग ने नौकरी से बर्खास्त कर दिया: मामला सामने आने के बाद डाक विभाग ने तत्काल प्रभाव से युवक को नौकरी से बर्खास्त कर दिया और प्रार्थी के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467, 468 व 471 के तहत सदर पुलिस थाना शिमला के समक्ष आपराधिक मामला 9 जनवरी 2023 को दर्ज कराया गया था. उसके बाद कानूनी कार्रवाई शुरू हुई और आरोपी पक्ष की तरफ से न्यायालय का दरवाजा खटखटाया गया था. उसके बाद प्रदेश उच्च न्यायालय से अग्रिम जमानत मिल गई है.
157 उम्मीदवारों को आमंत्रित किया गया था:अभियोजन पक्ष के अनुसार डाक विभाग ने शिमला मंडल के तहत घणाहट्टी स्थित देवनगर शाखा में ग्रामीण डाक सेवक के चयन के लिए 157 उम्मीदवारों को आमंत्रित किया. प्रार्थी का चयन योग्यता के आधार पर हो गया था. उसने 9 सिंतबर, 2022 को अस्थायी तौर पर कार्यभार ग्रहण किया. इससे पहले विभाग ने प्रमाण पत्र सत्यता जांचने के लिए शिक्षण संस्थान को भेजे थे, जो जांच में फर्जी पाए गए. इसके बाद उसे नौकरी से बर्खास्त कर दिया.