शिमला: हिमाचल प्रदेश के लोग रक्तदान (Blood donation in Himachal) करने में हमेशा आगे रहते हैं. इसी के चलते राज्य में सालाना 45 हजार यूनिट से अधिक रक्तदान किया जाता है. इसमें 82 फीसदी से अधिक स्वैच्छिक होता है. बड़ी बात ये है कि हिमाचल प्रदेश में ब्लड ट्रांसफ्यूजन से अब तक एचआईवी संक्रमण या अन्य किसी संक्रमण का कोई भी केस सामने नहीं आया है. इससे पता चलता है कि राज्य में ब्लड बैंक कितनी सतर्कता से काम करते हैं.
हिमाचल प्रदेश में वर्ष 2015 में 39 हजार यूनिट से अधिक रक्तदान हुआ था. उसके बाद हर साल ये आंकड़ा चालीस हजार से 45 हजार के बीच रहा. वहीं, 2021-2022 में 46 हजार यूनिट ब्लड एकत्रित किया गया. इसमें 82 फीसदी से अधिक वालंटियर यानी स्वैच्छिक तौर पर किया गया है. ये इस बात का प्रमाण है कि हिमाचल के लोग रक्तदान की अहमियत समझते हैं. वालंटियर डोनेशन वो होती है, जिसमें रक्तदाता अपनी इच्छा से रक्तदान करता है.
इसके अलावा दूसरी किस्म का रक्तदान रिप्लेसमेंट के आधार पर होता है. यानी मरीज के नातेदार उसे रक्त देते हैं. हिमाचल प्रदेश वालंटियर ब्लड डोनेशन के आंकड़े को नब्बे फीसदी से अधिक करने का लक्ष्य लेकर चला है. हिमाचल प्रदेश में इस समय 22 ब्लड बैंक काम कर रहे हैं. इनमें से सबसे अधिक सक्रियता से काम करने वाला ब्लड बैंक आईजीएमसी अस्पताल (IGMC Shimla Blood Bank) का है. यहां कंपोनेंट सेपरेशन यूनिट स्थापित की गई है.
रक्त दान शिविर कई संस्थाओं द्वारा भी लगाया जाता है. हिमाचल की उमंग फाउंडेशन (Umang Foundation Himachal) ने कोरोना काल के दौरान भी रक्त दान शिविर लगाया था, ताकि अस्पताल में मरीजों को खून की कमी न होने पाए. उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष अजय श्रीवास्तव ने बताया कि वैसे तो वह साल भर दर्जनों रक्त दान शिविर लगाते हैं, लेकिन कोरोना काल यानी 23 मार्च 2020 से लेकर अब तक उनहोंने 26 रक्त दान शिविर लगाए हैं. उन्होंने कहा कि रक्त दान करने के लिए युवा काफी संख्या में खुद सामने आ रहे है.