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Published : Dec 10, 2020, 6:26 PM IST

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स्वास्थ्य ड्यूटी नहीं लगाने की मांग को लेकर डीसी से मिले आंगनबाड़ी वर्कर, सौंपा ज्ञापन

कोरोना महामारी के मध्यनजर हिम सुरक्षा अभियान व भविष्य में किसी भी प्रकार की मेडिकल अथवा स्वास्थ्य ड्यूटी न लगाने की मांग को लेकर आंगनबाड़ी वर्कर्स, एवं हेल्पर्स यूनियन सम्बन्धित सीटू का एक प्रतिनिधिमण्डल उपायुक्त शिमला से मिला व इस संदर्भ में उन्हें एक ज्ञापन सौंपा. सभी आंगनबाड़ी कर्मी उपायुक्त कार्यालय के बाहर इकट्ठा हो गए व सभी कर्मी लगभग दो घंटे रोष व्यक्त किया.

डीसी शिमला
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शिमला: कोरोना महामारी के मध्यनजर हिम सुरक्षा अभियान व भविष्य में किसी भी प्रकार की मेडिकल अथवा स्वास्थ्य ड्यूटी न लगाने की मांग को लेकर आंगनबाड़ी वर्कर्स एवं हैल्पर्स यूनियन सम्बन्धित सीटू का एक प्रतिनिधिमण्डल उपायुक्त शिमला से मिला व इस संदर्भ में उन्हें एक ज्ञापन सौंपा.

इस दौरान शिमला प्रोजेक्ट के सभी आंगनबाड़ी कर्मी उपायुक्त कार्यालय के बाहर इकट्ठा हो गए व सभी कर्मी लगभग दो घंटे रोष व्यक्त किया. यूनियन ने उपायुक्त शिमला से मांग की है कि उनकी हिम सुरक्षा अभियान ड्यूटी को तुरन्त रद्द किया जाए व उन्हें जबरन इस ड्यूटी के लिए मजबूर न किया जाए. यूनियन ने चेताया है कि अगर आंगनबाड़ी कर्मियों से जबरन हिम सुरक्षा अभियान की ड्यूटी करवाई गई तो फिर प्रदेश भर के हजारों आंगनबाड़ी कर्मी सड़कों पर आकर आंदोलन करेंगे.

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आंगनबाड़ी वर्करों ने की ड्यूटी को तुरन्त रद्द करने की मांग

आंगनबाड़ी वर्कर्स एवं हेल्पर्स यूनियन सम्बन्धित सीटू की राज्य उपाध्यक्षा व जिला शिमला कोषाध्यक्ष हरदेई, शिमला प्रोजेक्ट की नेत्री मीनाक्षी देवी, सुनीता देवी,ललिता देवी, मीना देवी,संतोष कुमारी, रीटा देवी, राखी शर्मा व प्रोमिला देवी ने उपायुक्त शिमला से मांग की है कि कोरोना महामारी के मद्देनजर हिम सुरक्षा अभियान में आंगनबाड़ी कर्मियों की ड्यूटी को तुरन्त रद्द किया जाए क्योंकि वे स्वास्थ्य कर्मी नहीं हैं व उन्हें मेडिकल फील्ड का कोई ज्ञान नहीं है. इस ड्यूटी से जहां एक ओर मरीजों व आम जनता की जान को खतरा बढ़ सकता है. वहीं, पर बिना बीमा योजना व उचित सुरक्षा के अभाव में आंगनबाड़ी कर्मियों की जान भी खतरे में पड़ सकती है.

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छोटे बच्चों, गर्भवती व धातृ महिलाओं के लिए किया गया है नियुक्त

आंगनबाड़ी कर्मी छोटे बच्चों के लालन-पालन और गर्भवती व धातृ महिलाओं से सम्बंधित कार्यों के लिए नियुक्त किए गए हैं. वे योजनकर्मी हैं व एक विशेष योजना के क्रियान्वयन के प्रति ही वे जबावदेह हैं. उनकी कोरोना महामारी की मैपिंग, इलाज व इससे जुड़े अन्य कार्यों में ड्यूटी लगाने का कोई औचित्य नहीं बनता है. यह इन कर्मियों के साथ अन्याय के साथ ही कोरोना मरीजों व जनता की सेहत से भी खिलवाड़ है. उन्होंने कहा है कि प्रदेश सरकार का रवैया हमेशा ही आंगनबाड़ी कर्मियों के साथ अन्यायपूर्ण रहा है।

8 महीने बाद भी प्रदेश सरकार ने कर्मियों को नहीं किया भुगतान

आंगनबाड़ी कर्मियों के प्रति प्रदेश सरकार की संवेदनहीनता इस बात से जाहिर होती है कि अप्रैल 2020 में कोरोना काल में जब आंगनबाड़ी कर्मियों की मैपिंग व सर्वे ड्यूटी लगाई गई थी, उसका भी भुगतान 8 महीने बाद आज तक प्रदेश सरकार ने कर्मियों को नहीं किया है. हिमाचल प्रदेश में इन कर्मियों से दर्जनों कार्य करवाने के बावजूद भी न तो इन्हें नियमित किया गया, न ही इनके लिए पेंशन, ग्रेच्युट व स्वास्थ्य सुविधा आदि की कोई सुविधा है.

प्रशिक्षित कर्मियों को ही ड्यूटी में किया जाए नियुक्त

उनका कहना था कि हिम सुरक्षा अभियान में मेडिकल क्षेत्र से प्रशिक्षित कर्मियों को ही ड्यूटी में नियुक्त किया जाए व आंगनबाड़ी कर्मियों को तत्काल प्रभाव से इस ड्यूटी से मुक्त किया जाए. उन्होंने कहा है कि भविष्य में भी आंगनबाड़ी कर्मियों की किसी भी प्रकार के मेडिकल अथवा स्वास्थ्य सम्बन्धी कार्यक्रमों में ड्यूटी न लगाई जाए क्योंकि इन कार्यों के लिए सरकार द्वारा स्वास्थ्य विभाग के प्रशिक्षित कर्मचारी पहले से ही नियुक्त किए गए हैं.

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