नई दिल्ली/शिमला: हिमाचल से राज्यसभा सांसद आनंद शर्मा ने बुधवार को राज्यसभा में कोरोना काल के दौरान लगाए गए लॉकडाउन के कारण हुए फायदे और नुकसान का ब्यौरा देश के समक्ष रखने की मांग केंद्र सरकार से की.
कोविड-19 महामारी के संबंध में स्वास्थ्य मंत्री हर्षवर्धन के बयान पर चर्चा में भाग लेते हुए सदन में आनंद शर्मा ने कहा कि सरकार को देश में सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली को मजबूत करने के लिए कदम उठाए जाने चाहिए. शर्मा ने कहा कि केन्द्र को राज्य सरकारों से बात कर सरकारी अस्पतालों में आधारभूत ढांचे को मजबूत करना चाहिए.
आनंद शर्मा ने कहा कि वर्तमान सत्र में सरकार की तरफ से यह कहा गया कि लॉकडाउन के दौरान प्रवासी श्रमिकों की मृत्यु के संबंध में कोई आंकड़े नहीं हैं और इसलिए कोई मुआवजा नहीं है. यह देश के लिए दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है.
उन्होंने मांग की कि उन प्रवासी श्रमिकों के परिवारों को मुआवजा दिया जाए जिनकी लॉकडाउन के कारण हजारों किलोमीटर पैदल चल कर अपने गांव लौटने के दौरान मौत हो गई.
उन्होंने कहा कि भविष्य के लिए सरकार को देश में प्रवासी श्रमिकों के संबंध में डेटा बेस बनाना चाहिए. उन्होंने कहा कि एक रजिस्टर होना चाहिए. जो लोग शहरों में रहते हैं, उन्हें खाद्य सुरक्षा, राशन नहीं मिला है. इस तरह की समस्याओं का समाधान निकालना चाहिए.
लॉकडाउन पर बोलते हुए आनंद शर्मा ने कहा कि सरकार को लॉकडाउन लगाने से पहले राज्य सरकारों को विश्वास में लेना चाहिए था, जिससे वे बेहतर तैयारी कर सकते थे. उन्होंने कहा कि स्थानीय प्रशासन को जानकारी होती है कि लेबर के कैंप कहां और कितने लोग वहां पर हैं, यह सभी नहीं हुआ था.
लेकिन ऐसा नहीं हुआ और चार घंटे में रेलगाड़ियां बंद बसें बंद. इससे बहुत तकलीफ हुई, जो भारत की तस्वीर बाहर गई वह अच्छी नहीं थी. उन्होंने कहा कि लोगों ने हजारों किलोमीटर तक पैदल यात्रा की और कुछ मामलों में तो लोग अपने घर जाने के लिए सीमेंट मिक्सर ट्रकों के अंदर यात्रा करते पाए गए.
अगर सरकार की तरफ से पहले से तैयारी की गई होती, पहले से क्वारंटाइन सेंटर बनाए गए होते तो यह बीमारी गांव में नहीं गई होती. सरकार को घेरते हुए आनंद शर्मा ने कहा कि लॉकडाउन की घोषणा से पहले अगर सही ढंग से तैयारी कर ली जाती तो प्रवासी मजदूरों ने जो पीड़ाएं झेली, उससे बचा जा सकता था.
यही नहीं आनंद शर्मा ने स्वास्थ्य मंत्री के उस बयान पर भी हैरानी जताई जिसमें उन्होंने ये दावा किया था कि लॉकडाउन की वजह से देश में 14 लाख से 29 लाख तक संक्रमण के मामलों को रोकने और 37 से 78 हजार लोगों की इस संक्रमण के कारण मौत को रोकने में मदद मिली. शर्मा ने स्वास्थ्य मंत्री से पूछा कि सरकार के इस आंकड़े तक पहुंचने का कोई वैज्ञानिक आधार है या नहीं.
उन्होंने सदन में कहा कि मंगलवार को जो आंकड़े सदन में पेश किए वे ताजा नहीं थे. दिए गए आंकड़े पुराने हैं. शर्मा ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्री ने बयान में बताया कि भारत में प्रति दस लाख संक्रमित व्यक्तियों पर 55 लोगों की मौत हुई है जो विश्व में सबसे कम दर है. उन्होंने कहा कि श्रीलंका समेत कई दक्षिण एशियाई देशों में भी इससे मरने वालों की संख्या काफी कम है.