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विदेशियों को भी रिझा रही प्राकृतिक खेती, अमेरिकी NRI ने साइन किया 200 करोड़ का MoU

अमेरिका से संबंध रखने वाले एनआरआई हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती में करीब 200 करोड़ रुपये का निवेश करना चाहते हैं. यह बात कृषि मंत्री रामलाल मारकंडा ने कही.

American NRI signs MoU of 200 cr with Himachal Govt
American NRI signs MoU of 200 cr with Himachal Govt

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Published : Dec 7, 2019, 5:03 PM IST

शिमला: अमेरिका से संबंध रखने वाले एनआरआई हिमाचल प्रदेश में प्राकृतिक खेती में करीब 200 करोड़ रुपये का निवेश करना चाहते हैं. यह बात कृषि मंत्री रामलाल मारकंडा ने कही. उन्होने कहा कि ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट के दौरान उन्होंने यह एमओयू साइन किया है.

विदेशों में लगातार बढ़ती प्राकृतिक खेती के उत्पादों की मांग के बाद अब विदेशों भी लोग हिमाचल आकर प्राकृतिक खेती में निवेश करने की इच्छा व्यक्त कर रहे हैं. मारकंडा ने कहा कि प्रदेश सरकार राज्य में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है और इस दिशा में कृषि विभाग द्वारा किसानों को आवश्यक प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है.
रामलाल मारकंडा ने कहा कि प्राकृतिक खेती खुशहाल किसान योजना के तहत इस वर्ष 50 हजार किसानों को प्रशिक्षण देने का लक्ष्य रखा गया है और अभी तक 20 हजार किसानों को प्रशिक्षण प्रदान किया जा चुका है.

वीडियो रिपोर्ट.

उन्होंने कहा कि वर्तमान प्रदेश सरकार प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है और प्रदेश की अर्थव्यवस्था में कृषि का सकल घरेलू उत्पाद में 20 प्रतिशत योगदान है. उन्होंने कृषि विशेषज्ञों से अनुरोध किया कि वे प्रयोगशाला की तकनीकों को किसानों तक पहुंचाए, ताकि ग्रामीण आर्थिकी को संबल प्रदान हो और लघु एवं सीमांत किसानों की आय में बढ़ोतरी दर्ज हो.

डॉ. मारकंडा ने बताया कि भारत सरकार 2022 तक कृषि निर्यात को 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने के लिए कृत संकल्प है और नवीनतम तकनीक से किसानों को लाभान्वित किया जा रहा है. उन्होंने किसानों की आय में इजाफा करने के लिए मूल्य संवर्धन के कार्य को गति देने पर बल दिया.

कृषि मंत्री ने रसायन युक्त खेती के दुष्प्रभावों पर प्रकाश डाला और विशेषज्ञों से गहन विचार विमर्श किया. उन्होंने स्वास्थ्य के लिए हानिकारक कीटनाशकों के जहर से लोगों को जागरूक करने के लिए समाज के जागरूक वर्ग का सहयोग मांगा.

उन्होंने वैश्विक बाजार के युग में नवीन तकनीकों व प्रतिस्पर्धा के दौर में कार्यशाला से किसान वर्ग को जागरूक करने और कृषि को स्वरोजगार से जोड़ने के लिए विशेषज्ञों से आह्वान किया ताकि ग्रामीण लोगों को वर्तमान प्रदेश सरकार की समावेशी नीतियों का लाभ मिल सके.

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