शिमला:अब पहाड़ों की रानी शिमला सहित प्रदेश के अन्य हिस्सों की आबोहवा भी धीरे-धीरे जहरीली होती जा रही है. प्रदेश में प्रदूषण का स्तर हर दिन बढ़ता ही जा रहा है. राजधानी शिमला की हवा में प्रदूषण का स्तर मानकों से अधिक बढ़ रहा है.
राजधानी शिमला में जहां एयर क्वालिटी की बात करें तो शिमला में पीएम (Picometer) की मात्रा जहां 19 जनवरी को 32 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर थी. वहीं, 12 फरवरी को बढ़ कर 90 हो गई है. 4 फरवरी को शिमला एयर क्वालिटी 33 मापी गई थी, लेकिन 6 फरवरी के बाद प्रदूषण की मात्रा बढ़ने लगी है. जो कि आने वाले समय मे खतरे के संकेत है.
शिमला की बात करें तो यहां पर कोई उद्योग तो नहीं है, लेकिन जिस तरह से साल दर साल वाहनों की बढ़ती आवाजाही से यहां पर प्रदूषण का स्तर भी बढ़ता जा रहा है. शिमला में ढाई लाख से ज्यादा वाहन हैं और पर्यटन सीजन में वाहनों की आमद और भी बढ़ जाती है.
पिछले कई महीनों से बढ़ता प्रदूषण चिंता का विषय
सर्दियों में जिला शिमला में पर्यटक बर्फबारी देखने पहुंचते हैं. ऐसे में पिछले कई महीनों से बढ़ता प्रदूषण चिंता का विषय है. हिमाचल के शहरों की बात करें तो काला अंब, बद्दी, डमटाल, नालागढ़, पांवटा साहिब सबसे ज्यादा दूषित शहरों में शुमार हैं.
इन क्षेत्रों में उद्योगों से निकलने वाला विषैला धुंआ प्रदूषण के स्तर को काफी ज्यादा बढ़ा रहा है. अन्य शहरों में बढ़ते वाहनों की आवाजाही से प्रदूषण का स्तर बढ़ने लगा है. वहीं, शिमला, मनाली, धर्मशाला, सुंदर नगर की हवा में प्रदूषण का स्तर कम है. यही नहीं लोगों को सुविधा पहुंचाने के लिए जो फोर लेन का काम यहां चल रहा है और उस के लिए जितने पेड़ों का कटान किया गया है ये भी बढ़ाते प्रदूषण का एक कारण है.
वाहनों की बढ़ती तादाद
हिमाचल विश्वविद्यालय में पर्यावरण विभाग में प्रोफेसर डॉ. पवन कुमार अत्री का कहना है कि हिमाचल प्रदूषण साल दर साल बढ़ता जा रहा है. इसके पीछे की एक वजह जहां वाहनों की बढ़ती तादाद है. वहीं, औद्योगिक क्षेत्रों बद्दी कालाअंब और परमाणु में उद्योगों की वजह से प्रदूषण का स्तर ज्यादा हो रहा है, लेकिन पर्यटन स्थलों पर भी अब प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है.
पर्यटन स्थान शिमला में वाहनों की आवाजाही बढ़ रही है और पर्यटन सीजन में ढाई लाख से ज्यादा वाहन आते जाते हैं. ऐसे में यहां पर प्रदूषण बढ़ रहा है, जोकि आने वाले समय मे काफी खतरनाक साबित हो सकता है.
'हकीकत में पेड़ लगते नहीं है'
प्रदेश में पेड़ों का कटान भी लगातार बढ़ रहा है और उनके स्थान पर नए पेड़ लगाने के दावे तो किए जाते हैं और सरकार हर साल वन महोत्सव के तहत लाखो पौधे लगाने के दावे करती है, लेकिन हकीकत में पेड़ लगते नहीं है.
उन्होंने कहा कि प्रदूषण को रोकने के लिए खास कर शिमला में लोगों को इलेक्ट्रिकल वाहनों की ओर लोगों का रुझान सरकार को बढ़ाना चाहिए तभी शिमला शहर प्रदूषण से बच सकता है.
प्रदूषण को लेकर रेड कैटेगरी में रहा है बद्दी और परमाणू