शिमला/रामपुरः प्रदेश में बागवानी की उन्नत तकनीक की जानकारी देने के लिए बागवानी प्रशिक्षण केंद्र दत्तनगर में बागवानों के लिए प्रशिक्षण आरंभ हुआ. यह प्रशिक्षण विश्व बैंक पोषित हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास परियोजना के तहत प्रदान किया जा रहा है.
प्रशिक्षण शिविर के दौरान जानकारी देते विशेषज्ञ तीन दिन के इस प्रशिक्षण के पहले दिन बागवानों को विदेशी विशेषज्ञ द्वारा शिमला जिला के रामपुर व कुल्लू जिला के आनी के बागवानों को सेब उत्पादन की उन्नत तकनीक से रू-ब-रू करवाया गया.
विशेषकर सेब बागीचों में कैंकर जैसी बीमारी को रोकने के लिए विशेष तकनीकी जानकारी दी गई तथा दवाइयों के स्प्रे आदि के बारे में बताया गया. सेब विशेषज्ञ डा. डेविड मेन्करिलो ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में कैंकर की बीमारी खतरनाक स्तर तक पहुंच गई है, इसे रोकना जरूरी है. उन्होंने कहा कि बेहतर तरीके से प्रूनिंग की जाए और कटे स्थान पर फेविकोल या अन्य किसी पदार्थ से सील कर दिया जाए तो कैंकर जैसी बीमारी पर अंकुश लगाया जा सकता है.
इसके अलावा अच्छे स्तर की दवाइयों का छिड़काव भी इसे रोकने में सहायक हो सकता है. दवाओं का निर्धारित मात्रा से ज्यादा उपयोग करने के कारण ही यह समस्या पेश आई है.
इस मौके पर प्लांट प्रोटेक्शन एंड केनोपी मेनेजमेंट एक्सपर्ट जैक ह्यूस का कहना है कि अगले दो दिनों तक बागवानों को क्षेत्र के बागीचों का भ्रमण कर प्रूनिंग की तकनीक की जानकारी दी जाएगी. विशेषज्ञों का मानना है कि उत्तम तकनीक की प्रूनिंग से ही कैंकर की बीमारी पर रोक लगाई जा सकती है. प्रशिक्षण शिविर का मुख्य उद्देश्य बेहतर फल और अधिक उत्पादन से प्रदेश की बागवानी को बढ़ावा देना है. क्योंकि अन्य देशों की तुलना में हिमाचल प्रदेश में प्रति हैक्टर उत्पादन बहुत कम है.
उदाहरण के तौर पर न्यूजीलैंड में सेब का उत्पादन प्रति हैक्टर 65 मी. टन है. जबकि भारत में इसका उत्पादन मात्र 9 से 14 मी. टन है. उन्होंने सेब उत्पादकों को अपने बागीचों में नई तकनीक अपनाने और उत्तम किस्म की नई वैरायटी लगाने की भी शिफारिश की.