शिमला: श्राद्ध के बाद जहां अगले दिन से ही नवरात्रों की शुरुआत हो जाती थी, वहीं इस बार नवरात्रों के लिए श्राद्ध के बाद 1 महीने का लंबा इंतजार करना पड़ेगा. इसके पीछे की वजह यह है कि आज से पुरुषोत्तम मास जिसे मलमास के नाम से भी जाना जाता है उसकी शुरुआत हो रही है.
यह मलमास पूरे एक महीने का है और इस माह के 30 दिनों में किसी भी तरह का कोई भी शुभ काम नहीं होगा. यही वजह भी है कि नवरात्रे भी इस बार 1 माह बाद यानी इस मलमास के खत्म होने के बाद ही शुरू हो रहे हैं.
हिंदू कैलेंडर के मुताबिक यह माना जाता है कि 3 सालों में एक बार चंद्र मास अत्तिरिक्त आता है, इस कारण से इस महीने को अधिक मास कहा जाता है. इस महीने को मलमास या पुरुषोत्तम मास भी कहा जाता है. यह महीना पूर्ण रूप से भगवान विष्णु को समर्पित होता है.
मलमास की उत्तपति जो तिथियां क्षय होती है यानी एकादशी, चतुर्थी, तृतीया की जो तिथियां क्षय होती हैं उनसे मिलकर यह एक अधिकमास बनाता है. वैसे तो यह मलमास अप्रैल, मई माह में आता है, लेकिन 165 साल बाद यह श्राद्ध और नवरात्रों के बीच आया है.
इस मास में मुंडन संस्कार, शादी-विवाह जैसे शुभ काम वर्जित रहते हैं, जबकि दान का इस माह में अपना ही एक विशेष महत्व है. मलमास को पुरुषोत्तम मास के नाम से भी जाना जाता है और यही वजह भी है कि इस मास में किए गए दान पुण्य धर्म के कार्य भगवान विष्णु को अर्पित होते हैं.
भगवान विष्णु को भगवान पुरुषोत्तम के नाम से भी जाना जाता है और यही वजह है कि इस माह में जो भी व्यक्ति दान, पुण्य, कर्म धर्म करता है उसका उसे अक्षय फल मिलता है और यह सभी दान पुण्य भगवान विष्णु को अर्पित होते हैं.
मलमास में इन कार्यों की मनाही
पंडित वासुदेव शर्मा ने बताया कि ऐसी मान्यता है कि अधिकमास में किए गए धार्मिक कार्यों का किसी भी अन्य माह में किए गए पूजा-पाठ से 10 गुना अधिक फल मिलता है. उन्होंने बताया कि इस मास को अधिक मास के नाम से भी जाना जाता है और एक महीना अधिक होने के कारण इस मास में हिंदू धर्म के नामकरण, यज्ञोपवित, विवाह और सामान्य धार्मिक संस्कार, गृहप्रवेश, बहुमूल्य वस्तुओं की खरीद नहीं किए जाते हैं.
वहीं, ज्योतिषाचार्य पंडित शशिपाल डोगरा ने बताया कि इस मल मास जिसे अधिकमास या पुरूषोत्तम मास के नाम से जाना जाता है, उसमें शुभ कार्य वर्जित रहते हैं, लेकिन ग्रह शांति के अनुष्ठान और दान-पुण्य इस माह में किया जा सकता है.