शिमलाः पूरा देश कोरोना महामारी से जूझ रहा है. जहां एक ओर लगातार बेड, ऑक्सीजन और दवाओं की कमी सामने आ रही है. वहीं, दूसरी ओर कोरोना वायरस के अलावा अन्य बीमारियों से जूझ रहे लोगों को भी रक्त की कमी का सामना करना पड़ रहा है. महामारी के इस भयंकर दौर में लोग रक्तदान के लिए अस्पतालों का रुख नहीं कर पा रहे हैं. समय-समय पर कई सामाजिक संगठन लोगों की सहायता के लिए आगे आ रहे हैं, लेकिन बावजूद इसके अस्पतालों में रक्त की भारी कमी देखने को मिल रही है.
वैक्सीनेशन से पहले ब्लड डोनेशन
मरीजों और उनके तीमारदारों को समस्या का सामना न करना पड़े, इसके लिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने एक मुहिम चलाई है. इस मुहिम के तहत कोरोना वैक्सीनेशन से पहले सभी से ब्लड डोनेशन की अपील की जा रही है.
प्रदेश में जल्द ही 18 से 44 आयु वर्ग के लिए वैक्सीनेशन अभियान शुरू होने जा रहा है. इस आयु वर्ग के लोगों को अधिक स्वस्थ माना जाता है. यह आयु वर्ग ब्लड डोनेट करने के लिए भी पूरी तरह सक्षम है. वैक्सीनेशन के बाद करीब 1 महीने तक रक्तदान नहीं किया जा सकता. ऐसे में वैक्सीनेशन से पूर्व रक्तदान से किसी के जीवन को बचाया जा सकता है. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की विश्वविद्यालय इकाई के अध्यक्ष विशाल सकलानी ने सभी लोगों से वैक्सीनेशन से पहले ब्लड डोनेशन की अपील की है.
रक्तदान से नहीं आती कमजोरी
रक्तदान करना पूरी तरह से सुरक्षित होता है. रक्तदान करने के बाद किसी तरह की कमजोरी नहीं आती, बल्कि रक्तदाता मानसिक और शारीरिक रूप से और अधिक तंदुरुस्त बनता है. ऐसे में सभी को चाहिए कि कोरोना वैक्सीनेशन से पहले रक्तदान जरूर करें, ताकि किसी के जीवन को बचाया जा सके.
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