शिमला: हिमाचल में इस समय सेब सीजन पीक पर है. फल राज्य हिमाचल में सालाना 3 से 4 करोड़ पेटी सेब पैदा होता है, यानी प्रदेश में करीब 8 लाख मीट्रिक टन सेब होता है. बागवान अपनी उपज मंडियों के साथ स्थानीय स्तर पर निजी कंपनी अडानी एग्रो फ्रेश को बेचते हैं. अडानी समूह हर साल करीब 20 हजार मीट्रिक टन सेब खरीदता है. कंपनी हिमाचल में डेढ़ दशक से काम कर रही है. हर साल ये आरोप लगता है कि अडानी एग्रो फ्रेश केे कारण बागवानों को सेब का उचित दाम नहीं मिल पाता और बाजारवादी ताकतें साजिश के तहत सेब का दाम गिरा देती हैं. अडानी एग्रो फ्रेश प्रबंधन ने इस आरोप से इनकार किया है.
प्रबंधन का दावा है कि अडानी एग्रो फ्रेश में सेब बेचने से बागवानों का लाभ है. इससे ना केवल बागवानों की ग्रेडिंग और पैकिंग में होने वाला खर्च बचता है बल्कि प्रति किलो के हिसाब से सेब बेचने पर उन्हें बाजार से अधिक लाभ मिलता है. अडानी एग्रो फ्रेश के टर्मिनल मैनेजर मनजीत शीलू का कहना है कि हिमाचल में हर साल आठ लाख मीट्रिक टन सेब पैदा होता है और अडानी समूह केवल 20 हजार मीट्रिक टन ही सेब खरीदता है. यदि बागवानों को अदानी समूह के साथ कारोबार में घाटा होता तो हर साल डेढ़ से दो हजार बागवान उनके साथ ना जुड़ते. इस समय अदानी समूह के साथ 18 हजार के करीब बागवान जुड़े हैं.
ऊपरी शिमला के बागवानों राजीव, आलोक और सत्यप्रकाश का कहना है कि वे लंबे समय से अडानी को ही सेब बेच रहे हैं. उन्हें यहां सेब बेचकर कई लाभ मिलते हैं. उनका कहना है कि यहां सबसे अच्छी बात है कि सेब की पेमेंट ऑनलाइन खाते में उसी समय पहुंच जाती है. बागवानों को ग्रेडिंग और पैकिंग में प्रति पेटी 250 रुपए का खर्च बचता है. क्रेट में सेब बेचकर पेटी की अपेक्षा बागवानों को अधिक लाभ है. बागवानों का यह भी मानना है कि अभी हिमाचल में बड़े कॉर्पोरेट समूह में केवल अडानी ही काम कर रहा है यदि अन्य समूह भी आएंगे तो एक स्वस्थ कारोबारी स्पर्धा होगी और बागवानों को लाभ मिलेगा.
वहीं, कुछ दिनों से हिमाचल में किसान-बागवानों के कुछ संगठन आरोप लगा रहे हैं कि अडानी समूह साजिशन सेब के दाम गिरा देता है, लेकिन लंबे समय से अडानी समूह के साथ काम कर रहे बागवनों के कहना है कि उन्हें मंडियों से अधिक सुविधा अडानी के स्टोर में सेब बेचकर मिल रही है. उल्लेखनीय है कि प्रदेश के शिमला जिला में अडानी ग्रुप के तीन सीए (कंट्रोल्ड एटमॉसफियर) स्टोर हैं. ये सीए स्टोर मेंहदली, बिथल व सैंज में हैं. इन सभी की क्षमता 22 मीट्रिक टन है. अडानी एग्री फ्रेश सेब की परंपरागत वैरायटी रॉयल को ही खरीदता है. ये अलग बात है कि हिमाचल में रॉयल के अलावा पचास से अधिक विदेशी किस्मों के सेब का उत्पादन किया जा रहा है. अडानी केवल रॉयल सेब खरीदता है. इसका कारण ये है कि रॉयल सेब की शैल्फ लाइफ अधिक है. यानी तोड़ने के बाद ये काफी समय तक खराब नहीं होता.