शिमला:हिमाचल की नदियों ने इस साल भारी तबाही मचाई है. कई जगह सड़कें बह गई हैं और कई जगह मकानों और अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठानों को भी खतरा पहुंचा है. हिमाचल में इस बार हुई भारी बारिश की वजह हजारों करोड़ों का नुकसान हुआ है. वहीं, प्रदेश की नदियों में रेत और बजरी जमा होने से रिवर बेड लेवल भी हर साल बढ़ता जा रहा है.
हर साल नदियों में 7.5 करोड़ टन रेत-बिजरी जमा: एक अनुमान के अनुसार हिमाचल के नदियों में हर साल करीब 7.5 करोड़ टन रेत-बजरी जमा होती है. जबकि इसमें से करीब 10 फीसदी ही खनन के माध्यम से रेत और बजरी निकाली जाती है. बाकी करीब 6.5 करोड़ टन की रेत व बजरी हर साल इन नदियों में जमा हो रही है. ऐसे में भारी बारिश के दौरान नदियां अपने किनारों पर भारी तबाही मचाती है. प्रदेश में सतलुज, ब्यास, रावी, यमुना के साथ-साथ अन्य पब्बर आदि छोटी नदियां हैं जहां पर रेत व बजरी जमा हो रही हैं.
हाई पावर टेक्निकल कमेटी गठित करेगी सरकार:उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने कहा हिमाचल में नदी नालों में 7.50 करोड़ टन हर साल पत्थर, रेत व मिट्टी आता है, जिसमें करीब 69 लाख टन ही रेत व बजरी ही निकालते हैं, जो दस फीसदी भी नहीं. कुछ छिटपुट गैर कानूनी माइनिंग को मिलाकर भी नदियों से 15 फीसदी से कम रेत-बजरी निकाल पा रहे हैं. इस तरह करीब 6.50 करोड़ टन रेत व बजरी हर साल नदियों में जमा हो रहा है. इसको निकालना जरूरी है और इसके लिए एक हाई पावर तकनीकी कमेटी का गठन जल्द ही किया जाएगा. इसमें आईआईटी मंडी, रुड़की और खड़कपुर के विशेषज्ञों को लिया जाएगा.
केंद्रीय मंत्री ने भी इस बारे में दिए सुझाव:केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने अपने हिमाचल दौरे में इस बारे में सुझाव दिए हैं. नितिन गडकरी ने माना है कि नदियों के किनारे के क्षेत्रों को भारी नुकसान हुआ है. इसका एक बड़ा कारण नदियों में रेत व बजरी का इकट्ठा होना है. केंद्रीय मंत्री ने कहा इसके लिए ब्यास नदी को दो तीन मीटर नीचे करने के साथ ही इसके किनारों को भी मजबूत करने की जरूरत है.