हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / state

4 कैजुअल्टी मेडिकल ऑफिसर्स के हवाले IGMC का आपातकाल, मरीजों को झेलनी पड़ रही परेशानियां - doctors

आईजीएमसी में सिर्फ चार केजुअल्टी मेडिकल ऑफिसर्स इमरजेंसी वार्ड का पूरा काम संभाल रहे है. आलम ये है कि इन ऑफिसर्स को छुट्टी पर जाने से पहले अपने विकल्प बताने पड़ते हैं और उसके बाद ही इन्हें छुट्टी मिलती है. इतना ही नहीं शाम 4 बजे से सुबह सुबह 9 बजे तक पूरे अस्प्ताल की जिम्मेवारी सीएमओ की होती है और छुट्टी वाले दिन भी पूरा अस्प्ताल इन्हीं के हवाले रहता है.

आईजीएमसी शिमला (फाइल फोटो).

By

Published : Jun 25, 2019, 10:42 PM IST

Updated : Jun 25, 2019, 11:58 PM IST

शिमला: प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी के इमरजेंसी में कैजुअल्टी मेडिकल ऑफिसर्स की कमी से मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. आफिसर्स की कमी के चलते अस्पताल में तैनात कैजुअल्टी मेडिकल ऑफिसर्स को 24 से 36 घंटे की ड्यूटी देनी पड़ रही है. हालात ये है कि अगर किसी सीएमओ को छुट्टी जाना पड़े तो उसे कहा जाता है अपना विकल्प बताओ, उसके बाद ही छुट्टी मिलेगी.

बता दें कि अस्पताल में इमरजेंसी का सारा काम सीएमओ के हवाले होता है. इसके अलावा शाम 4 बजे से सुबह सुबह 9 बजे तक पूरे अस्प्ताल की जिम्मेवारी सीएमओ की होती है और छुट्टी वाले दिन भी पूरा अस्प्ताल इन्हीं के हवाले रहता है.

आईजीएजसी में इमरजेंसी की पूरी जिम्मेवारी सीएमओ पर होती है. अस्प्ताल में आपातकाल में आने वाले मरीजों को पहले सीएमओ ही देखता है. इसके अलावा दुर्घटना ,पॉइजनिंग मामले, पुलिस द्वारा पकड़े गए आरोपी का मेडिकल करना व एमएलसी काटने का सारा काम सीएमओ करता है.

बता दें कि बीते छह महीने से पूरे आईजीएमसी का काम चार सीएमओ के है, जबकि पूरे आइजीएमसी में 18 एमओ ऐसे हैं, जिन्हें सीएमओ लगाया जा सकता है और स्टाफ की कमी को पूरा किया जा सकता है. सीएमओ की कमी के कारण आपातकाल में आने वाले मरीजों की जांच समय पर नहीं हो पाती, क्योंकि सीएमओ अस्प्ताल के अन्य मरीजों को देखने की जिम्मेदारी भी रहती है. ऐसे में कई बार घंटों मरीजो को फॉर्म पर साइन करवाने व स्टैंप लगवाने के लिए खड़े रहना पड़ता है, जिससे मरीजो को परेशानी होती है.

Last Updated : Jun 25, 2019, 11:58 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details