नई दिल्ली: विधानसभा चुनाव परिणाम में अपेक्षित बहुमत नहीं मिलने का ठीकरा बीजेपी कथित तौर पर केजरीवाल सरकार की मुफ्त योजना फोड़ रही है. वहीं सोशल मीडिया पर बीजेपी के समर्थक 'हिंदू' मध्यमवर्ग पर दगाबाजी तक का आरोप लगा रहे हैं.
बता दें कि बीजेपी प्रदेश संगठन ने चुनाव से ठीक पहले जो सदस्यता अभियान चलाया था उसमें जितने नए सदस्य जुड़े थे, उन सदस्यों की संख्या करीब 62 लाख तक पहुंच गई थी. वहीं पार्टी को विधानसभा चुनाव में मात्र 35 लाख मतदाताओं के ही वोट मिले. इस तरह से पार्टी के प्राप्त मतों और सदस्य संख्या का अंतर करीब 27 लाख हैं. जबकि आम आदमी पार्टी को बीजेपी से सिर्फ 14 लाख अधिक वोट मिले हैं.
वोट नहीं मिलने का नवनिर्वाचित विधायकों को भी मलालबीजेपी को दिल्ली में पार्टी के ही सदस्यों का वोट नहीं मिल सका. जिसका मलाल निर्वाचित नवनिर्वाचित विधायकों को भी है. पूर्वी दिल्ली से विधायक चुने गए अजय महावर कहते हैं कि उम्मीद के अनुरूप जीत नहीं मिली. इसका उन्हें दुख है. जनता ने उन्हें विपक्ष के लिए चुना वे सकारात्मक विपक्ष की भूमिका सरकार में निभाएंगे. केजरीवाल सरकार से भी उम्मीद करते हैं कि वे विपक्ष को कमजोर करने की नहीं करेंगे.
विश्व का सबसे बड़ा राजनीतिक दल होने का दावा
बता दें कि समय-समय पर बड़े स्तर पर सदस्यता अभियान चलाने वाली बीजेपी विश्व का सबसे बड़ा राजनीतिक संगठन होने का दावा करती है. वर्ष 2014 में केंद्र में सत्ता प्राप्त करने के बाद से ही बीजेपी ने अपने कैडर को मजबूत करने पर खास जोर दिया. आधुनिक तकनीकों माध्यमों का उपयोग करते हुए बड़े स्तर पर लोगों को पार्टी से जोड़ा.
वर्ष 2019 के आम चुनावों के बाद बीजेपी की ओर से चलाए गए सदस्यता अभियान के तहत दिल्ली में सदस्यों की संख्या 62 लाख के पार पहुंचने का दावा किया गया. लेकिन विधानसभा चुनाव में पार्टी को सिर्फ 35 लाख लोगों का वोट मिला. निष्कर्ष यही है कि बीजेपी के 27 लाख सदस्यों ने उसका साथ नहीं दिया.
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