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Published : Sep 29, 2020, 6:25 PM IST

Updated : Sep 29, 2020, 6:57 PM IST

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चिंतनीय: हिमाचल में 23 हजार विद्यार्थियों ने छोड़ा सरकारी स्कूल

हिमाचल में सरकारी स्कूलों को मजबूत करने में जुटी प्रदेश सरकार को यू-डाइस रिपोर्ट ने बड़ा झटका दिया है. साल 2019-20 में प्रदेश भर में 23,000 विद्यार्थियों ने सरकारी स्कूल छोड़ दिया है. छठी से दसवीं कक्षा तक 14,000 पहली से पांचवीं तक 8,000 बच्चे ड्रॉपआउट हुए हैं.

govt school in himachal
फोटो.

शिमला: प्रदेश में सरकारी स्कूलों में शिक्षा की गुणवत्ता को बढ़ाने के लिए भले ही कई प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन इसके बाद भी अभिभावकों का विश्वास सरकारी शिक्षा में नहीं बन रहा है. यही वजह है कि वर्ष 2019-20 में सरकारी स्कूलों से 23,030 छात्र कम हुए हैं.

वर्ष 2017 से लगातार यह ड्रॉपआउट सरकारी स्कूलों में हो रहा है. यह खुलासा यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इनफार्मेशन सिस्टम फॉर स्कूल्स ( यू-डाइस) के तहत हुआ हुआ है. हर साल सितंबर में इस डाटा को इकट्ठा किया जाता है और इस साल वर्ष 2019-20 की रिपोर्ट समग्र शिक्षा विभाग ने तैयार की है.

इस रिपोर्ट में जहां सरकारी स्कूलों से छात्रों के ड्रॉपआउट होने की संख्या का खुलासा हुआ है. वहीं, एक बड़ा खुलासा यह भी हुआ है कि प्रदेश में सरकारी और निजी दोनों ही स्कूलों में ओवरऑल एनरोलमेंट घटी है. इस इनरोलमेंट के लागातर कम होने के पीछे विभाग प्रदेश में टोटल फर्टिलिटी रेट कम होना बताया जा रहा है.

बता दें कि प्रदेश ने 18 हजार 184 स्कूल हैं. इन स्कूलों में वर्ष 2017-18 में इनरोलमेंट 13 लाख 90 हजार थी. वहीं, वर्ष 2018-19 में यह आंकड़ा 13 लाख 74 हजार 135 था और अब 2019-20 में इनरोलमेंट का यह आंकड़ा 13 लाख 59 हजार 471 पर सिमट गया है.

इस इनरोलमेंट के घटने के पीछे विभाग यह तर्क दे रहा है कि हिमाचल में टोटल फर्टिलिटी रेट 1.7 पर है जो सामान्य फर्टिलिटी रेट 2.1 से भी कम है. ऐसे में बच्चों की संख्या ही कम है तो उसी वजह से इनरोलमेंट भी कम हो रहा है, लेकिन रिपोर्ट के आंकड़ों पर गौर किया जाए तो सरकारी स्कूलों में छात्रों की संख्या लागातार कम हो रही है और निजी स्कूलों में यह बढ़ रही है.

समग्र शिक्षा अभियान के राज्य परियोजना निदेशक आशीष कोहली का कहना है कि हर साल सितंबर माह में शिक्षा मंत्रालय की ओर से तैयार किए गए फॉर्मेट पर प्रदेश के सभी स्कूलों का डाटा एकत्र किया जाता है. इस बार भी इस डाटा पर आधारित वर्ष 2019-20 की रिपोर्ट आ चुकी है.

इस रिपोर्ट के आधार पर यह देखा गया है की प्रदेश के स्कूलों में इनरोलमेंट लगातार घट गई है. इसके पीछे हिमाचल का टोटल फर्टिलिटी रेट कम होना एक वजह है. वहीं, अन्य सुविधाओं का भी आंकलन किया गया है जिसमें सभी स्कूलों का परफॉर्मेंस बेहतर रहा है.

सरकारी स्कूलों में 23 हजार 30 छात्र कम हुए हैं और इन छात्रों का ड्रॉपआउट हुआ है. निजी स्कूलों में यह है इनरोलमेंट का आंकड़ा प्रदेश के निजी स्कूलों में पहली कक्षा से बाहरवीं कक्षा तक वर्ष 2017-18 में इनरोलमेंट 5 लाख 35 हजार 998 थी. वर्ष 2018-19 में यह इनरोलमेंट 5 लाख 35 हजार 398 रही और वर्ष 2019-20 में सरकारी स्कूलों की इनरोलमेंट में 23 हजार के करीब का इजाफा हुआ.

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Last Updated : Sep 29, 2020, 6:57 PM IST

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