शिमला:प्रदेश की जयराम सरकार ने अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक सीआइडी एन वेणुगोपाल की अध्यक्षता में सीआईडी की 19 सदस्यीय टीम को फर्जी डिग्री मामले की जांच का मामला सौंप दिया है. इस मामले को आयकर विभाग व प्रवर्तन निदेशालय से भी उठाया गया है. मुख्यमंत्री ने कहा कि देवभूमि में फर्जी डिग्री का धंघा करना पाप है व कम से कम उनकी सरकार में ऐसे धंधों के लिए कोई जगह नहीं हैं. मामले में 5 लोगों को हिरासत में लिया गया था, जिनमें से 2 लोग न्यायिक हिरासत में है और 3 लोगों को बेल मिल गई है.
विधायक राजेंद्र राणा ने उठाए सवाल
इस मामले को सदन में कांगेस विधायक राजेंद्र राणा ने उठाया व सीबीआई जांच की मांग की. राणा ने कहा कि एफआइआर के बाद फर्जी डिग्री बेचने वाले मानव भारती विश्वविद्यालय के मालिक राजकुमार राणा ने अपने परिवार के सदस्यों को विदेश भेज दिया व उनके खाते से करोड़ों रुपया बाहर भेजा गया है. राणा ने कहा कि ये पैसे किसके खाते में गया है. इसकी जांच होनी चाहिए. ये मामला बाहरी राज्यों व विदेश से जुड़ा है. इसके चलते मामले की सीबीआई जांच क्यों नहीं करवाई जा रही है.
राजेंद्र राणा ने पूर्व की धूमल सरकार को अपरोक्ष रूप से घेरे में लेते हुए कहा कि पहले हिमाचल में व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र खोले थे, वहां भी बीजेपी सरकार ने घपले किए थे. इसके बाद 2007 में राजकुमार राणा ने विवि के लिए आवेदन किया. निजी विश्वविद्यालय अधिनियम के तहत किसी विश्वविद्यालय को खोलने के लिए 50 बीघा जमीन होनी चाहिए थी. राणा के पास 30 बीघा जमीन ही थी. इसके चलते उसके मामले को दो बार रद्द किया गया.
सीबीआई व ईडी से जांच करवाई जाए
राजेंद्र राणा ने कहा कि बाद में विवि खोलने की इजाजत कैसे मिली ये तो पता नहीं, लेकिन जब इसके पहले के कारनामे मालूम थे तो किसके इशारे पर विवि खुला यह भी जानना जरूरी है. राणा ने कहा कि इस विश्वविद्यालय से ऐसे कोर्सो की डिग्रियां भी बेची गई, जो कोर्स इस विश्वविद्यालय में मान्य ही नहीं थे. ये मामला अब दो हजार करोड़ के लेन देन का बनता जा रहा है. इस मामले की जांच सीबीआई व ईडी से की जानी चाहिए.