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वाटर सेस के दायरे में आएंगे 172 हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स, आम जनता पर नहीं पड़ेगा बोझ - Himachal Government News

हिमाचल सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि हिमाचल में कुल 172 हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स इस वाटर सेस के दायरे में आएंगे. इन परियोजनाओं पर वाटर सेस यानी उपकर से एक हजार करोड़ रुपए सालाना से अधिक राजस्व जुटाने का लक्ष्य रखा गया है.

Sukvinder Singh Sukhu
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (फाइल फोटो).

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Published : Mar 12, 2023, 3:20 PM IST

शिमला: हिमाचल की आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने वाटर सेस लागू किया है. वाटर सेस को लेकर विधानसभा के बजट सत्र में विधेयक लाया जा रहा है. उससे पहले राज्य सरकार ने अधिसूचना जारी कर 10 मार्च से वाटर सेस लागू कर दिया है. राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने बताया कि हिमाचल में कुल 172 हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स इस वाटर सेस के दायरे में आएंगे. इन परियोजनाओं पर वाटर सेस यानी उपकर से एक हजार करोड़ रुपए सालाना से अधिक राजस्व जुटाने का लक्ष्य रखा गया है.

वहीं, सरकार ने ये भी स्पष्ट किया है कि वाटर सेस का आम जनता पर कोई बोझ नहीं पड़ेगा. आम जनता में ये आशंका थी कि यदि जलविद्युत परियोजनाओं पर वाटर सेस लगाया जाएगा तो बदले में परियोजना प्रबंधन कहीं बिजली महंगी न कर दे और उसका बोझ जनता पर पड़ जाए. सीएम सुखविंदर सिंह भी ये कह चुके हैं कि इसका जनता पर कोई बोझ नहीं पड़ेगा. वहीं, अब राज्य सरकार के प्रवक्ता ने भी बयान जारी किया है कि वाटर सेस से आम जनता को चिंता करने की जरूरत नहीं है.

प्रवक्ता ने कहा कि राज्य सरकार आर्थिक संसाधन जुटाने का प्रयास कर रही है. इसी सिलसिले में हिमाचल प्रदेश की नदियों के पानी पर आधारित जलविद्युत परियोजनाओं पर जल उपकर यानी वाटर सेस लगाया गया है. इसके दायरे में छोटी और बड़ी कुल 172 परियोजनाएं आएंगी. प्रवक्ता ने बताया कि इन्हीं चिन्हित जल विद्युत परियोजनाओं से ही राज्य सरकार वाटर सेस वसूल करेगी.

प्रवक्ता के अनुसार हिमाचल प्रदेश ही नहीं बल्कि पड़ोसी राज्य उत्तराखंड सहित जेएंडके में भी हाइड्रो पावर प्रोजेक्ट्स पर वाटर सेस लगाया गया है. राज्य सरकार को अपनी धरती पर बर रही नदियों के पानी के प्रयोग पर ये सेस लगाने का अधिकार है. उल्लेखनीय है कि हिमाचल में 21 हजार मैगावाट से अधिक जलविद्युत दोहन की क्षमता है. हिमाचल में साढ़े दस हजार मैगावाट क्षमता का दोहन किया है. राज्य के इतिहास में ये पहली बार है कि जलविद्युत परियोजनाओं पर सरकार ने वाटर सेस लगाया है.

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