शिमला: पूरे प्रदेश में आज हिमाचल निर्माता और प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री डॉ. यशवंत सिंह परमार को उनकी 114वीं जयंती पर श्रद्धांजलि देकर याद किया जा रहा है. इसी कड़ी में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने डॉ. वाईएस परमार की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित करके उन्हें याद किया.
इसी बीच विधानसभा अध्यक्ष विपिन सिंह परमार, नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री, शिमला ग्रामीण विधायक विक्रमादित्य सिंह,स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. राजीव सैजल और ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री वीरेन्द्र कंवर मुख्य रुप से मौजूद रहे. साथ ही सीएम ने कहा कि हिमाचल सरकार डॉ. परमार के सपनों को साकार करने के लिए प्रयासरत है.
सीएम ने कहा कि डाॅ. परमार एक महान दूरदर्शी नेता थे, जिन्होंने तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद इस पहाड़ी राज्य की अपनी अलग पहचान बनाए रखते हुए राज्य का नेतृत्व किया. उन्होंने कहा कि डॉ. वाईएस परमार ने प्रदेश की मजबूत नींव रखते हुए ये सुनिश्चित किया कि हिमाचल प्रदेश देश अन्य पहाड़ी राज्यों के लिए एक आदर्श राज्य बनकर उभरे. साथ ही उनके अथक प्रयासों के कारण ही हिमाचल प्रदेश भारतीय संघ का 18वां राज्य बना और तब से प्रदेश विकास और समृद्धि के पथ पर तेजी से आगे बढ़ा है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि डाॅ. परमार ने पंजाब के उन पहाड़ी क्षेत्रों का हिमाचल प्रदेश के साथ विलय करने का अनुरोध किया जिनकी संस्कृति और जीवन शैली एक समान थी. उनकी दूरदर्शी सोच के कारण ही राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था, विशेष रूप से बागवानी क्षेत्र में तीव्र गति से विकास हुआ है.
उन्होंने कहा कि डाॅ. परमार एक बहुआयामी प्रतिभा के व्यक्ति थे, जिन्होंने अपनी सादगी से राज्य के लाखों लोगों के दिलों में अपनी अमिट छाप छोड़ी है. साथ ही कहा कि हिमाचल प्रदेश उनके द्वारा कहे गए वाक्यों को पूरा करते हुए अपनी वन संपदा की रक्षा कर रहा है.
मुख्यमंत्री ने कहा कि डाॅ. परमार जानते थे कि सड़कें इस पहाड़ी राज्य के विकास की भाग्य रेखा हैं, इसलिए उन्होंने राज्य में सड़कों के निर्माण पर विशेष बल दिया. साथ ही वो किसानों को नकदी फसलों की खेती के लिए प्रेरित करने के पक्ष में थे और उनकी प्रेरणा से ही लोगों ने सेब की खेती शुरू की, जो आज 5 हजार करोड़ रूपये की अर्थव्यवस्था के रूप में उभरी है.
उन्होंने कहा कि हिमाचल निर्माता एक दूरदर्शी नेता थे, जिन्होंने ऐसे राज्य की कल्पना की जहां हर नागरिक को प्रगति और समृद्धि का अवसर मिल सके. उन्होंने कहा कि राजनीतिक विचारों से ऊपर उठकर डाॅ. परमार का सम्मान सभी क्षेत्रों के लोगों ने किया है. पहले ये दिन विधानसभा के एक छोटे से पुस्तकालय सभागार में मनाया जाता रहा, लेकिन पिछले साल ये निर्णय लिया गया कि इस अवसर को धूमधाम से मनाया जाएगा.