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चिंताजनक आंकड़े: देवभूमि में चार साल में 12,475 सड़क हादसे, इंसानी लापरवाही से 95 फीसदी दुर्घटनाएं

विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान सड़क हादसों पर चर्चा के जवाब में हिमाचल में अगस्त 2015 से अगस्त 2019 के दरम्यान कुल 12,475 सड़क हादसे पेश आए हैं.

देवभूमि में चार साल में 12475 सड़क हादसे

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Published : Aug 22, 2019, 7:48 AM IST

Updated : Aug 22, 2019, 1:47 PM IST

शिमला: पहाड़ी राज्य हिमाचल प्रदेश में सड़क दुर्घटनाएं नासूर बन चुकी हैं. चिंता की बात है कि 95 फीसदी हादसे इंसानी लापरवाही से पेश आ रहे हैं.

बता दें कि हिमाचल में अगस्त 2015 से अगस्त 2019 के दरम्यान कुल 12,475 सड़क हादसे हुए हैं. इनमें से 11,859 यानि 95 फीसदी से अधिक हादसे इंसानी लापरवाही से हुए हैं. विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान सड़क हादसों पर चर्चा के जवाब में ये आंकड़े परिवहन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने सदन में रखे.

सड़क हादसों पर नियम 130 के तहत चर्चा का जवाब देते हुए गोविंद सिंह ठाकुर ने कहा कि करीब पांच फीसदी हादसों का कारण सड़कों की खराबी से जुड़ा है. वर्ष 2017 में जनवरी से अगस्त माह के दौरान 1888 सड़क हादसों में 779 बेशकीमती जीवन काल का ग्रास बने.

वर्ष 2018 में जनवरी से अगस्त के में 1937 सड़क दुर्घटनाओं में 754 लोग मौत का शिकार हुए. 2019 अगस्त में अब तक 1753 हादसों में 688 लोग मारे जा चुके हैं. सड़क हादसों का मुख्य कारण ओवर स्पीड पाया गया है.

हिमाचल में ओवर स्पीड से 51 फीसदी से अधिक, लापरवाही से गाड़ी चलाने के कारण 9 फीसदी से अधिक हादसे हुए हैं. कुल 4.5 फीसदी हादसे खराब सड़कों, गाड़ियों की खस्ताहालत और मौसम के कारण पेश आए हैं.

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परिवहन मंत्री ने कहा कि इनसानी गल्तियों से होने वाली दुर्घटनाओं को रोकने के लिए एचआरटीसी में भर्ती किए जा रहे 674 चालकों को डेढ़ माह के प्रशिक्षण के बाद ही बस चलाने की इजाजत मिलेगी. परिवहन निगम में इन चालकों और 693 परिचालकों की भर्ती प्रक्रिया मार्च 2020 तक पूरी कर ली जाएगी.

गोविंद ठाकुर ने कहा कि भविष्य में ब्लैक स्पॉट के कारण होने वाली दुर्घटनाओं में ठेकेदारों की जिम्मेदारी भी तय होगी. उन्होंने कहा कि प्रदेश में इस समय 169 संवेदनशील ब्लैक स्पाट हैं, जिनमें से 17 का सुधार कर लिया गया है.

वहीं नियम 130 के तहत शिलाई के विधायक हर्षवर्धन चौहान ने प्रदेश में बढ़ती सडक़ दुर्घटनाओं से पैदा स्थिति पर चर्चा शुरू करते हुए कहा कि ग्रामीण इलाकों में ओवरलोडिंग की समस्या को दूर करने के लिए और अधिक बसों को चलाया जाना चाहिए. निजी बसों पर भी सख्ती अपनाने की जरूरत है, क्योंकि निजी ऑपरेटर अधिकतर पुरानी बसें ही चला रहे हैं.

हर्षवर्धन ने कहा कि पिछले पौने दो वर्ष में सरकार ने कोई नई बस नहीं खरीदी है. केवल शिमला के लिए इलेक्ट्रिक बसें ही खरीदी हैं. उन्होंने सरकार से नई बसों की खरीद करने का आग्रह किया.

भाजपा विधायक सुरेंद्र शौरी ने कहा कि जटिल और खतरनाक सड़क मार्गों पर क्रैश बैरियर होने चाहिए. प्रदेश भर में मेलों में शराब पीकर गाड़ी चलाने वालों पर सख्ती की जाए. भाजपा विधायक राकेश जम्वाल ने कहा कि सड़कों के निर्माण के समय उसके ग्रेड पर ध्यान दिया जाए.

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नाचन के विधायक विनोद कुमार ने कहा कि सड़क हादसों का एक बड़ा कारण चालकों का नशा करना है. ब्लैक स्पॉट को दूर करने को लेकर गंभीरता से काम करना होगा और तीखे मोड़ को जल्द से जल्द ठीक करना होगा.

राकेश पठानिया के अनुसार सड़क हादसों का एक बड़ा कारण ब्लैक स्पॉट बताया जाता है और यह बात कई सालों से कही जा रही है, लेकिन इस पर गंभीरता से काम नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि हर साल डंगे गिरते हैं और एक ही ठेकेदार इसे लगाता है.

देहरा के विधायक होशियार सिंह ने कहा कि हादसों का मुख्य कारण ओवरलोडिंग है. दूसरे राज्यों से आने वाले श्रद्धालु ट्रकों और ट्रैक्टरों में आते हैं. उन्हें पहाड़ में गाड़ी चलाने का अनुभव नहीं होता. इससे हादसे होते हैं और पुलिस उन्हें यहां सीमा पर नहीं रोकती.

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बलबीर वर्मा ने कहा कि निजी बसों के चालकों को प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाए, क्योंकि निजी बसों में जो चालक हैं, वे पूरी तरह से प्रशिक्षित नहीं हैं.

विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि राज्य में अधिकतर हादसे सड़कों की खराब हालत से हो रहे हैं और ब्लैक स्पॉट को ठीक किया जाना चाहिए. विधायक अरूण कुमार ने कहा कि वाहनों की पासिंग भी ठीक से नहीं हो रही है और खराब बसें भी पास की जा रही हैं, जिससे हादसों का डर बना रहता है.

Last Updated : Aug 22, 2019, 1:47 PM IST

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