शिमला: जयराम सरकार ने ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट पर 12.53 करोड़ रुपये की राशि खर्च की है, इसके अलावा विदेशों में आयोजित रोड शो, विभिन्न जगहों पर आयोजित मिनी कॉन्क्लेव और हिमाचल में उद्यमियों को निवेश के लिए सुविधाओं का खर्च अलग से है. वहीं, इन्वेस्टर्स मीट पर हुआ कुल खर्च का ब्यौरा आना अभी बाकी है.
विधानसभा सत्र के दौरान विपक्ष ने इन्वेस्टर्स मीट को बड़ा घोटाला करार देते हुए सरकार पर आरोप लगाया था कि प्रदेश सरकार ने उधार के पैसे लुटाकर प्रदेश की जनता के साथ धोखा किया है. नेता प्रतिपक्ष मुकेश अग्निहोत्री ने कहा था कि यह इन्वेस्टर्स मीट के नाम पर बहुत बड़ा घोटाला प्रदेश में हुआ है. समझौता ज्ञापन केवल निवेश की इच्छा के आधार पर साइन किए गए हैं.अग्निहोत्री ने कहा कि इनमें ना तो कोई कानूनी बाधा है और ना ही कोई समय सीमा निश्चित की गई है.
विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए उद्योग मंत्री विक्रम सिंह ने विधानसभा में लिखित जवाब में विधानसभा को सूचित किया था कि इन्वेस्टर्स मीट में हुए कुल खर्च के अंतिम आंकड़े अभी आना बाकी है. इसके अलावा बिलों की जांच भी जारी है. जबकि कुछ अन्य बिल प्रस्तुत किए जा चुके हैं. उन्होंने कहा कि इन्वेस्टर्स मीट के दौरान हिमाचल में अपनी इकाइयां स्थापित करने के लिए उद्योग को आकर्षित करने के लिए इन 703 एमओयू पर फरवरी और नवंबर 2019 के बीच हस्ताक्षर किए गए हैं.