शिमला:10 जनवरी का इतिहास हिन्दी से प्रेम करने वाले लोगों के लिए खास है. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सन 2006 में हिंदी प्रचार-प्रसार के लिए इस दिन को हिंदी दिवस मनाने की घोषणा की थी. प्रथम विश्व हिंदी सम्मेलन आज के ही दिन 1975 को नागपुर में आयोजित किया गया था.
पहला विश्व हिन्दी सम्मेलन
10 जनवरी 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने प्रथम विश्व हिन्दी सम्मेलन का उद्घाटन नागपुर में किया. बता दें, 10 जनवरी 2006 तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने इस दिन को प्रति वर्ष विश्व हिंदी दिवस के रूप मनाए जाने की घोषणा की थी.
क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय हिंदी दिवस
साल 1947 में अंग्रेजी हुकूमत से भारत आजाद हुआ तो भाषा को लेकर सबसे बड़ा सवाल था. 6 दिसंबर 1946 में आजाद भारत का संविधान तैयार करने के लिए संविधान का गठन हुआ. संविधान सभा ने अपना 26 नवंबर 1949 को संविधान के अंतिम प्रारूप को मंजूरी दी. आजाद भारत का अपना संविधान 26 जनवरी 1950 से पूरे देश में लागू हुआ.
लेकिन भारत की कौन सी राष्ट्रभाषा चुनी जाएगी ये मुद्दा काफी अहम था. काफी सोच विचार के बाद हिंदी और अंग्रेजी को नए राष्ट्र की भाषा चुना गया. संविधान सभा ने देवनागरी लिपी में लिखी हिन्दी को अंग्रजों के साथ राष्ट्र की आधिकारिक भाषा के तौर पर स्वीकार किया. 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से निर्णय लिया कि हिंदी ही भारत की राजभाषा होगी. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने कहा कि इस दिन के महत्व देखते हुए हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाए. बता दें,पहला हिंदी दिवस 14 सितंबर 1953 में मनाया गया था.
इतिहास के पन्नों को पलटकर देखा जाए तो 10 जनवरी को कुछ महत्वपूर्ण जानकारी मिलेंगी
सन 1836 में प्रो. मधुसूदन गुप्ता ने पहली बार मानव शरीर की आंतरिक संरचना का अध्ययन किया,1886: भारत के शिक्षाविद, अर्थशास्त्री एवं न्यायविद जॉन मथाई का जन्म,1908: हिन्दी के निबंधकार पद्मनारायण राय का जन्म,1940 भारतीय पार्श्व गायक के. जे. येसुदास का जन्म,भारतीय अभिनेता ऋतिक रोशन का जन्म, पूरी दुनिया का चक्कर लगाने का पहला नौका अभियान बम्बई में सन 1987 को पूरा हुआ.
ये भी पढ़ें: मंत्री राजीव सैजल को मंदिर न जाने देने पर बोले सीएम, समाज में समरसता जरूरी