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करसोग में कार्यशाला का आयोजन, बागवानों को दिए बगीचे तैयार करने के टिप्स

करसोग उपमंडल के गवालपुर में बागवानों के लिए कार्यशाला का आयोजन किया गया. कार्यशाला में उद्यान विकास अधिकारी चमेली नेगी ने सर्दियों के मौसम में सेब की देखरेख करने, ग्राफ्टिंग करने और बीमारियों से बचाने के लिए स्प्रे शेड्यूल की जानकारी दी. कोरोना वायरस संक्रमण को देखते हुए कार्यशाला में उपस्थित बागवानों को सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करते हुए दूर दूर बिठाया गया था.

workshop organized in karsog.
करसोग में बागवानों के लिए कार्यशाला.

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Published : Dec 10, 2020, 7:56 PM IST

करसोग: मंडी जिला के करसोग उपमंडल के गवालपुर में बागवानों के लिए वीरवार को कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें उद्यान विभाग करसोग ने बागवानों को नए बगीचे लगाने और पौधों की देखभाल के टिप्स दिए.

बागवानों से सोशल डिस्टेंसिंग की अपील

तुमन गांव में आयोजित इस कार्यशाला में उद्यान विकास अधिकारी चमेली नेगी ने सर्दियों के मौसम में सेब की देखरेख करने, ग्राफ्टिंग करने और बीमारियों से बचाने के लिए स्प्रे शेड्यूल की जानकारी दी. कोरोना वायरस संक्रमण को देखते हुए कार्यशाला में उपस्थित बागवानों को सोशल डिस्टेंसिंग की पालना करते हुए दूर दूर बिठाया गया था. इस दौरान सरकार की ओर से आरंभ की गई योजनाओं के बारे में भी जानकारी दी गई. ताकि बागवान इन योजनाओं का लाभ उठाकर आर्थिक तौर पर समृद्ध हो सकें.

करसोग में बागवानों के लिए कार्यशाला का आयोजन.

करसोग में सेब सहित स्टोन फ्रुट ग्रामीणों की आर्थिकी का मुख्य आधार है. उपमंडल में सेब की आधुनिक वैराइटी आने से लगातार बागवानी का क्षेत्रफल बढ़ रहा है. ऐसे में अधिक से अधिक लोगों को बागवानी से जोड़ने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. इस मौके पर उद्यान प्रसार अधिकारी डॉ नारायण ठाकुर ने भी जानकारियां देकर बागवानों को जागरूक किया.

सेब पर पड़ी मौसम की मार

करसोग उपमंडल में औसतन 15 से 20 लाख पेटियों का उत्पादन रहता है, लेकिन इस बार मौसम की बेरुखी की वजह से सेब उत्पादन 30 से 35 फीसदी कम रहा. यही नहीं स्टोन फ्रूट भी इस बार मौसम की बेरुखी की भेंट चढ़ गया. इससे बागवानों को इस बार काफी नुकसान उठाना पड़ा है. अभी करसोग में अधिकतर बागवान पुरानी वैराइटी रॉयल पर ही निर्भर है. इस वैराइटी के सेब के लिए 1400 से 1600 चिलिंग आवर्स की जरूरत रहती है, ऐसे में मौसम में आ रहे लगातार बदलाव को देखते हुए बागवानों को स्पर वैराइटी का सेब लगाने के लिए प्रेरित किया गया. इस वैराइटी के सेब के लिए 800 के करीब चिलिंग आवर्स की जरूरत रहती है. जो अधिक ठंड न पड़ने से आसानी से पूरे हो जाते हैं। ऐसे आधुनिक वैराइटी के पौधे लगाकर करसोग में सेब उत्पादन को और बढ़ाया जा सकता है.

उद्यान विकास अधिकारी चमेली नेगी ने बताया कि गवालपुर के तुमन गांव में कार्यशाला का आयोजन किया गया. जिसमें बागवानों को सेब के पौथों की देखरेख के बारे में जानकारी दी गई. उन्होंने कहा कि बागवानों को सरकार की ओर से शुरू की गई योजनाओं के बारे में भी बताया गया.

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