करसोगः हिमाचल में घर की चारदिवारी की चौखट से बाहर निकल नारीशक्ति राजकाज चलाने में अब पुरुषों से आगे निकल गई है. घर के कार्यों का बीड़ा उठाने के साथ-साथ महिलाओं ने राजनीति के मोर्चे में भी सफलता का झंडा गाड़ा है. वर्तमान में प्रदेश की पंचायतीराज संस्था में महिलाओं के कब्जे को देखते हुए तो ये बात साफ हो गई है.
हिमाचल में यूं तो महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण लागू है, लेकिन पंचायतीराज संस्थाओं की 56.46 फीसदी सीटों पर महिलाओं का कब्जा है. ऐसे में न केवल पंचायत स्तर पर बल्कि जिला परिषद में भी दबदबे से निचले स्तर पर महिलाओं को खूब मान सम्मान मिला है.
प्रदेश में वर्ष 2016 में पंचायतीराज संस्था के लिए हुए चुनाव में कुल 25,497 पदों में से 14,398 पर महिलाएं लोकतंत्र की छोटी संसद में बखूबी विकासकार्यों में अपना पूरा योगदान दे रही है. हालांकि विधानसभा और लोकसभा चुनाव में सरकार ने महिलाओं को आरक्षण नहीं दिया है. ऐसे में लोकतंत्र की सबसे बड़ी संस्था की दहलीज पार करने के लिए नारीशक्ति को संघर्ष का लंबा सफर तय करना अभी बाकी है.
ये है पंचायतीराज संस्था में महिलाओं की स्थिति:
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हिमाचल की पंचायतों में प्रधानों की संख्या 3,226 है. इसमें 1631 पदों पर महिलाओं का वर्चस्व है. ये कुल संख्या का 50.50 फीसदी है. इसी तरह से प्रदेश में वार्ड सदस्यों की कुल संख्या 20,348 है. इसमें 11,778 पद महिलाओं के कब्जे में है. यह कुल वार्ड सदस्यों की संख्या का 57.88 फीसदी है. पंचायत समिति सदस्यों की संख्या भी 1673 है. इसमें 862 फीसदी पर महिलाओं का राज है. जो कुल संख्या का 51.52 फीसदी है. इसके अलावा जिला परिषद सदस्यों की संख्या 250 है, इसमें 127 पदों पर महिलाएं बिराजमान है. ये संख्या भी पुरुष सदस्यों की संख्या की तुलना में 50.80 फ़ीसदी है.