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कोरोना से हुए बेरोजगार: मनरेगा में 28 दिनों में 8 हजार से अधिक लोगों ने मांगा रोजगार - वैश्विक महामारी कोरोना वायरस

लॉकडाउन में लोगों के रोजगार पर भारी असर पड़ा है. इस दौरान लोगों की आवाजाही पर पूरी तरह से रोक के कारण बहुत से दिहाड़ीदार मजदूर बेरोजगार हो गए. अप्रैल महीने के आखिर सप्ताह में लोगों ने मनरेगा के तहत काम करने के लिए डिमांड की थी. ऐसे में काम खुलने के बाद करीब 28 दिन में 8,111 लोगों ने रोजगार की गुहार लगाई है, जो मनरेगा के इतिहास में एक रिकॉर्ड है.

employment under MNREGA
कोरोना से बेरोजगार हुए लोगों ने मनरेगा में मांगा रोजगार.

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Published : May 23, 2020, 10:02 AM IST

Updated : May 23, 2020, 2:05 PM IST

करसोग:देश सहित प्रदेश में कोरोना वायरस को रोकने के लिए जारी लॉकडाउन का लोगों के रोजगार पर भारी असर देखने को मिला है. प्रदेश में लॉकडाउन 1 और 2 में लोगों को काम न मिलने से सबसे अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ा था. इस दौरान लोगों की आवाजाही पर पूरी तरह से रोक के कारण बहुत से दिहाड़ीदार मजदूर बेरोजगार हो गए. इसको देखते हुए सरकार ने 20 अप्रैल के बाद ग्रामीण क्षेत्रों में मनरेगा के काम खोल दिए थे.

विकासखंड करसोग में अप्रैल महीने के आखिर सप्ताह में लोगों ने मनरेगा के तहत काम करने के लिए डिमांड की थी. ऐसे में काम खुलने के बाद करीब 28 दिन के अंतराल में अभी तक 8,111 लोगों ने रोजगार के लिए डिमांड की है, जो मनरेगा के इतिहास में एक रिकॉर्ड है. इतने कम दिनों में कभी भी एक साथ इतने लोगों ने काम की डिमांड नहीं की थी. विकासखंड में अब तक बीडीओ ऑफिस से 1128 मस्टररोल जारी हो चुके हैं. ऐसे में इस वैश्विक महामारी कोरोना वायरस की मुश्किल घड़ी में मनरेगा के तहत काम करने की अनुमति मिलने से ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है.

वीडियो.
रोजाना 289 लोगों ने मांगा रोजगार

करसोग विकासखंड में शुरू हुए मनरेगा 28 में 8,111 लोगों को 14 दिनों का रोजगार दिया है. इस लिहाज से विकासखंड की विभिन्न पंचायतों में 1 दिन में औसतन 289 लोगों ने मनरेगा में काम मांगा है. प्रदेश में सरकार ने 1 अप्रैल से मनरेगा श्रमिकों की दिहाड़ी में 13 रुपये की बढ़ोतरी की है. श्रमिकों को अब मनरेगा में काम करने पर प्रतिदिन 198 रुपये दिहाड़ी दी जा रही है.

हालांकि प्रदेश सरकार ने अप्रैल महीने से न्यूनतम दिहाड़ी भी 250 रुपये से बढ़ाकर 275 रुपये कर दी है. इस लिहाज से मनरेगा में काम करने पर न्यूनतम वेतन से 77 रुपये कम दिहाड़ी मिल रही है, लेकिन कोरोना काल के इस मुश्किल दौर में घरद्वार पर 198 रुपये दिहाड़ी मिलने से श्रमिक खुश हैं. प्रदेश में लॉकडाउन पूरी तरह से खुलने के बाद मनरेगा के तहत इस बार काम मांगने की डिमांड अभी और अधिक बढ़ने की उम्मीद है.

बीडीओ राजेंद्र सिंह तेजटा का कहना है कि कोरोना की वजह से रोजगार देने में काफी दिक्कतें आ रही थीं, लेकिन केंद्र और प्रदेश सरकार के प्रयासों से विकासखंड में भी मनरेगा के तहत काम खुला गया है. इस कारण अप्रैल महीने के आखिरी सप्ताह से अब तक 8 से अधिक लोगों को रोजगार दिया गया है, जिससे जरूरतमंदों की समस्या भी काफी हद तक दूर हुई है.

Last Updated : May 23, 2020, 2:05 PM IST

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