हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / state

टरबाइन को नुकसान से बचाने के लिए BSL जलाशय से निकाली जाती है सिल्ट: BBMB - बीएसएल परियोजना सुंदरनगर

बीबीएमबी प्रबंधन ने सिल्ट को लेकर जानकारी दी है कि सिल्ट को जलाशय से बाहर निकाल कर पावर हाउस में चलने वाली टरबाइन को नुकसान से बचाया जाता है. साथ ही ये पूरी प्रक्रिया वैज्ञानिक तरीकों से की जाती है.

Turbines are protected from damage by removing silt from the reservoir
सुंदरनगर

By

Published : Aug 8, 2020, 3:08 PM IST

सुंदरनगर:पावर हाउस में चलने वाली टरबाइन को नुकसान से बचाने के लिए बीबीएमबी प्रबंधन द्वारा सिल्ट को जलाशय से बाहर निकाला जाता है, ताकि टरबाइन सुरक्षित रह सके. सिल्ट को जलाशय से बाहर निकालने की प्रक्रिया साइंटिफिक होती है. ये जानकारी बीबीएमबी प्रबंधन ने दी है.

बीबीएमबी प्रबंधन के कर्मचारियों ने बताया कि साल 2004 से पूर्व बीबीएमबी जलाशय में 12 महीने सिल्ट की ड्रेजिंग की जाती थी, लेकिन हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के एक निर्णय के बाद मानसून के समय तीन महीने में सिल्ट निकासी का कार्य किया जाता है.

वीडियो.

कर्मचारियों ने बताया कि सिल्ट को जलाशय के साथ बहने वाली सुकेती खड्ड में फेंकने के कारण लोगों द्वारा इसका विरोध भी किया जाता है, लेकिन बीबीएमबी प्रबंधन इस सिल्ट निकासी को लेकर पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है और इस कार्य को वैज्ञानिक तरीकों से किया जा रहा है.

बीएसएल परियोजना सुंदरनगर के डिप्टी चीफ इंजीनियर सर्कल-1 ईआरडी सावा ने कहा कि बीबीएमबी झील में की जाने वाली ड्रेजिंग का लक्ष्य डेहर पावर हाउस में चल रही टरबाइन को सील्ट मुक्त पानी पहुंचाना है.

इसके माध्यम से सील्ट को जलाशय से निकाल कर वापस सुकेती खड्ड और चैनलाइजेशन से वापस ब्यास में भेज दिया जाता है. उन्होंने कहा कि इसके लिए बीबीएमबी द्वारा 3 ड्रेजर लगाए गए हैं, जिसमें आईएचसी-1500, एफएल-1800 और आईएससी-996 लगाए गए हैं.

ईआरडी सावा ने बताया कि ड्रेजिंग को लेकर हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट के निर्णय के निर्देशानुसार बीबीएमबी द्वारा मानसून के समय जब सुकेती खड्ड में भरपूर पानी मौजूद होता है, तो सील्ट को वापस ब्यास नदी में पहुंचाया जाता है. उन्होंने कहा कि सुकेती खड्ड के बहाव की मॉनिटरिंग के लिए अधिकारी डडौर में मौजूद रहते हैं.

बीएसएल परियोजना सुंदरनगर के डिप्टी चीफ इंजीनियर ने बताया कि ड्रेजिंग प्रक्रिया पूर्ण रूप से साइंटिफिक है और इसमें लोगों को कम से कम नुकसान पहुंचने की कोशिश की जाती है। अगर तब भी किसी को नुकसान पहुंचता है तो इसका मुआवजा भी दिया जाता है.

ये भी पढ़ें:कोरोनाकाल में हिमाचल को हुआ 30 हजार करोड़ का नुकसान: सीएम

ABOUT THE AUTHOR

...view details