मंडी:हिमाचल प्रदेश देव पंरपराओं के लिए जाना जाता है. देव परंपराओं से लाखों लोगों की आस्था जुड़ी है. लोगों का अटूट विश्वास से ही आधुनिकता की अंधी दौड़ में भी पौराणिक आस्था का झंडा बुलंद है. हिमाचल की करसोग घाटी में जब पौराणिक कथाओं के कुछ फल-सफे खुलते हैं तो महा पराक्रमी पांडवों के पदचिन्ह मिलते हैं.
मंडी जिला की करसोग घाटी देवी-देवताओं और शक्ति स्थलों के लिए जानी जाती है. यहां कई ऐसे पौराणिक और ऐतिहासिक मंदिर हैं, जो अपने आप में ही अद्भुत हैं. आस्था की यह जड़ें इतनी गहरी हैं कि आधुनिकता का तूफान भी धार्मिक मान्यताओं का आज तक एक पत्ता तक नहीं हिला पाया है.
पौराणिक कथाओं के अनुसार पांडवों का संबंध करसोग के पांगणा से भी रहा है. अज्ञातवास के समय पांडव घूमते-फिरते पांगणा आए थे. पांडवों ने इस गांव में काफी समय गुजारा. इस गांव का नाम पांडवांगण के नाम से पौराणिक कथाओं में वर्णित है. पांगणा में स्थित शिव मंदिर में भीम का विवाह हिडिंबा से हुआ था. इस शिव मंदिर के बाहर स्थित नंदी की ऐसी विशाल मूर्ति करसोग के अन्य किसी मंदिर में नहीं है.