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किसान आंदोलन के समर्थन में उतरे लोग, एसडीएम के माध्यम से राष्ट्रपति को सौंपा ज्ञापन

कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में करसोग की जनता भी खड़ी हो गई है. किसानों को समर्थन देने के लिए करसोग के किसानों ने शुक्रवार को एसडीएम के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा है. पूर्व जिला परिषद सदस्य श्याम सिंह चौहान ने इन तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग की है.

The farmers of Karsog submitted the memorandum to the President through SDM.
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Published : Feb 6, 2021, 5:15 PM IST

मंडी: कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन कर रहे किसानों के समर्थन में करसोग की जनता भी खड़ी हो गई है. यहां पिछले 2 महीने से ज्यादा समय से आंदोलन की राह पर किसानों को समर्थन देने के लिए करसोग के किसानों ने शुक्रवार को एसडीएम के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा हैं.

राष्ट्रपति से कृषि बिल वापस लेने की मांग

किसानों ने तीनों कृषि बिल वापस लेने की मांग की है. इस अवसर पर किसान नेताओं ने मोदी सरकार पर तीखे प्रहार किए. किसान नेताओं ने कहा कि केंद्र सरकार शांति पूर्वक आंदोलन कर रहे किसानों की आवाज को दबाने का प्रयास कर रही है. केंद्र सरकार ने चहेते उद्योगपतियों को फायदा देने के लिए तीन कृषि कानून लागू किए हैं, जो किसी भी तरह से किसानों के हक में नहीं है.

किसानों का केंद्र सरकार पर तीखा प्रहार

किसान नेताओं ने आरोप लगाया है कि केंद्र सरकार चुनावों के समय उद्योगपतियों के किए गए एहसानों को उतारने के लिए देश के अन्नदाताओं के हितों को दरकिनार कर रही है, जिसके लिए देश के अन्नदाता पिछले करीब अढ़ाई महीनों से देश की राजधानी दिल्ली के बॉर्डर पर डेरा डाले हुए हैं, लेकिन केंद्र सरकार को किसानों की आवाज सुनाई नहीं दे रही है.

काले कृषि कानूनों को लागू करने में सरकार ने की जल्दबाजी

किसान नेताओं ने कहा इन काले कृषि कानूनों को लागू करने में सरकार ने इतनी जल्दबाजी दिखाई कि एक ही दिन में दोनों सदनों में बिना किसी बहस के इन्हें पास करवा दिया. उसी दिन इन कानूनों पर राष्ट्रपति की मोहर भी लगवा दी गई, यहां तक कि किसानों के लिए कानून बनाने से पहले केंद्र सरकार ने उनसे बातचीत करना तक भी जरूरी नहीं समझा.

पूर्व जिला परिषद सदस्य श्याम सिंह चौहान ने तुरन्त प्रभाव से इन तीनों कानूनों को वापस लेने की मांग की है. उन्होंने कहा कि अगर इन काले कानूनों को वापस नहीं लिया गया तो आने वाले समय में केंद्र सरकार को इसके गंभीर परिणाम भुगतने होंगे.

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