करसोग: जिला मंडी व बिलासपुर की सीमा पर एनटीपीसी की 800 मेगावाट क्षमता को कोल बांध विद्युत परियोजना धार्मिक पर्यटन स्थल तत्तापानी के लिए सोने की चिड़िया बनने जा रही है. सतलुज नदी पर बनी विद्युत परियोजना के कारण हुए जल भराव से तत्तापानी में बनी झील से नदी के किनारे गर्म पानी के चश्मे जलमग्न हो गए थे. झील बनने के साथ कि तत्तापानी का पौराणिक सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व कहानी बनकर रह गया है.
तत्तापानी को विश्व के मानचित्र पर नई पहचान दिलाने के लिए क्षेत्र को वाटर स्पोर्ट्स का हब बनाया जा रहा है. इसके लिए सरकार ने अपने प्रयासों में तेजी लाई है. इसी कड़ी में करसोग विधानसभा क्षेत्र के विधायक हीरा लाल, एसडीएम सुरेंद्र ठाकुर व पीडब्ल्यूडी के अधिशाषी मान सिंह ने तत्तापानी पहुंचकर टूरिजम विभाग के विभिन्न प्रोजेक्टों की समीक्षा की. टीम ने वाटर स्पोर्ट्स का हब बन रही झील का निरीक्षण भी किया. इस दौरान एसडीएम ने कार्यकर्ताओं को विकसकार्यों में तेजी लाने के भी निर्देश जारी किए.
तत्तापानी में बनेगा घाट और पार्क
तत्तापानी को नई पहचान दिलाने के लिए क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जा रहा है. पर्यटकों के निए सतलुज नदी पर बनी झील के किनारे घाट और पार्क का निर्माण भी किया जाएगा और इसके लिए राशि भी स्वीकृत हो चुकी है. इस घाट के निर्माण से वाटर स्पोर्ट्स की गतिविधियों को बढ़ावा मिलेगा और यहां तक पहुंचने के लिए इन दिनों शिमला-करसोग मुख्य मार्ग से लिंक रोड का निर्माण किया जा रहा है. सड़क का निर्माण कार्य अभी प्रगति पर है. सड़क के दोनों तरफ महिलाओं और पुरुषों के लिए स्नानाघर बनाए जाएंगे, जिसका कार्य लोहड़ी पर्व से पहले पूरा कर लिया जाएगा.
तत्तापानी को धार्मिक पर्यटन स्थल बनाने के साथ-साथ सरकार का मकसद क्षेत्र को वाटर स्पोर्ट्स के हब के तौर पर भी विकसित करने भी है. तत्तापानी में गर्म पानी का स्त्रोत होने के कारण पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान है. यहां हर साल लोहड़ी के अवसर पर पर्व होता है, जिसमें प्रदेश सहित देश के विभिन्न राज्यों से भी हजारों की संख्या में पर्यटक आते हैं.