मंडी: मंडी संसदीय क्षेत्र से कांग्रेस प्रत्याशी आश्रय शर्मा ने गुरुवार को नामांकन पत्र दाखिल किया. नामांकन के बाद कांग्रेस ने मंडी के ऐतिहासिक सेरी मंच पर परिवर्तन रैली का आयोजन किया. परिवर्तन रैली में पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम अपने बेटे व भाजपा विधायक को अनिल शर्मा को याद कर फूट फूट कर रोए.
पूर्व कांग्रेस केंद्रीय मंत्री सुखराम को अपने पोते आश्रय शर्मा के नामांकन के मौके पर बेटे अनिल शर्मा के न होने का मलाल रहा. इस दौरान सुखराम ने ये भी कहा कि भाजपा ने आश्रय को टिकट दिया होता तो आज यह परिस्थितियां नहीं होती.
जनता को संबोधित करते हुए पंडित सुखराम ने पहले की गई गलतियों के लिए वीरभद्र सिंह व मंडी की जनता से माफी मांगी. जनसमूह को संबोधित करते हुए पंडित सुखराम ने अपना दर्द बयां किया. जनसभा में अपने बेटे को याद करते ही आश्रय व उनकी आंखें नम हो गई.
जनसभा में पूर्व मंत्री व विधायक अनिल शर्मा को छोड़कर परिवार के सभी सदस्य मौजूद थे. मुंबई से आश्रय के छोटे भाई व बॉलीवुड अभिनेता आयुष शर्मा भी इस मौके पर उपस्थित रहे, लेकिन अनिल की कमी ने उन्हें भावुक कर दिया.
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अपने सम्बोधन में पंडित सुखराम ने कहा कि केंद्रीय मंत्री रहते हुए उन्होंने अपने विभागों की छाप हिमाचल में छोड़ी है. उन्होंने पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह की भी जमकर तारीफ की उन्होंने कहा कि वीरभद्र सिंह ने हिमाचल को विकास की दृष्टि से नई दिशा दी है.
नामांकन के बाद मंच पर फूट-फूट कर रोए दादा-पोता. सुखराम ने भावुक होते हुए कहा कि आश्रय शर्मा के साथ उसके पिता का आशीर्वाद है, कोई शक्ति इसे रोक नहीं सकती है. उन्होंने कहा कि भाजपाई इन भावनाओं समझ नहीं सके. उन्होंने वीरभद्र सिंह से दिल्ली में हुई मुलाकात का जिक्र करते हुए कहा कि मैंने उनसे माफी मांगी थी.
उन्होंने कहा कि वीरभद्र सिंह से माफी मांगते हुए मैंने कहा था कि यदि मुझसे कोई गलती हो गई हो तो मुझे माफ करना. उन्होंने गलती होने पर हिमाचल की जनता से भी क्षमा मांगी. टिकट के बारे में जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा ने उनकी बातों को अनसुना किया और वह राहुल गांधी से मिले जहां उन्हें टिकट रूपी आशीर्वाद दिया.
पंडित सुखराम ने आश्रय को रिकॉर्ड मतों से जीत दिलाने की अपील है. इस दौरान जनसभा में अनिल के पक्ष में नारेबाजी भी हुई. जनसमूह के बीच पंडित सुखराम ने खुलकर अपने भावनाओं को व्यक्त किया और अपनी बात रखकर पोते को जिताने की अपील की. उन्होंने वीरभद्र सिंह को भी अपने भाषण में खूब अधिमान दिया.
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