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शाही जलेब में उचित स्थान नहीं मिलने पर रुष्ट हुए बड़ादेव कमरूनाग, टूटी सदियों पुरानी परंपरा - mandi news hindi

मंडी जिले के राज्यस्तरीय सुकेत देवता मेले में सदियों पुरानी परंपरा उस समय टूट गई जब शाही जलेब में उचित स्थान नहीं मिलने पर रुष्ट हुए बड़ादेव कमरूनाग जलेब में शामिल नहीं हुए. सुकेत देवता मेले के 100 वर्षों के इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि शाही जलेब में कमरूनाग देव शामिल नहीं हुए. यही नहीं देव कमरूनाग को राजघराने द्वारा चढ़ाए जाने वाली चादर को भी देवता ने अस्वीकार कर दिया. (Bada Dev Kamrunag got angry)

शाही जलेब में उचित स्थान नहीं मिलने पर रुष्ट हुए बड़ादेव कमरूनाग,
शाही जलेब में उचित स्थान नहीं मिलने पर रुष्ट हुए बड़ादेव कमरूनाग,

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Published : Mar 31, 2023, 10:49 AM IST

सुकेत देवता मेले के 100 वर्षों के इतिहास में पहली बार शाही जलेब में शामिल नहीं हुए कमरूनाग

मंडी: मंडी जिले का राज्यस्तरीय सुकेत देवता मेले का समापन वीरवार को हो गया है. लेकिन मेले का समापन समारोह सवालों के घेरे में आ गया है. जहां एक ओर सुकेत रियासत का प्राचीन देव समागम अपनी भव्यता के 100 वर्ष इस बार पूरा कर चुका है. वहीं दूसरी ओर मंडी जनपद के अराध्य बड़ादेव कमरूनाग पहली बार रूष्ट होने के कारण शोभायात्रा में शामिल नहीं हुए. राज्यस्तरीय सुकेत मेले के समापन अवसर पर महामाया मंदिर से लेकर जवाहर पार्क तक भले ही भव्य जलेब निकाली गई. लेकिन इस जलेब में बड़ादेव कमरूनाग शामिल नहीं हुए.

सदियों पुरानी परंपरा के अनुसार शाही जलेब में महामाया की पालकी के पीछे कमरूनाग को स्थान नहीं मिला और देवता रूष्ट होकर अकेले ही मेला स्थल पर पहुंच गए. आलम यह रहा कि इस प्रकार परंपरा टूटने से व्यवस्था भी तीतर-बीतर हो गई और प्रशासन के ढुलमुल रवैए और लापरवाही से अराध्य बड़ादेव कमरुनाग रुष्ट हो गए. देव कमरूनाग के अनुयायियों में प्रशासन की इस तरह की अनदेखी के चलते गहरा रोष व्याप्त है. देव कमरूनाग के अनुयायियों का आरोप है कि अराध्य बड़ादेव कमरुनाग को मेले में उचित मान सम्मान नहीं दिया गया.

शाही जलेब में उचित स्थान नहीं मिलने पर रुष्ट हुए बड़ादेव कमरूनाग,

बता दें कि मंडी जिले के 5 दिवसीय राज्यस्तरीय सुकेत देवता मेले का गुरुवार को समापन हो गया. इस मौके पर प्रदेश सरकार के उद्योग मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की. इस दौरान परंपरा अनुसार महामाया मंदिर से मेला ग्राउंड तक भव्य शोभायात्रा का आयोजन भी किया गया. लेकिन पहली बार इस शोभायात्रा में बड़ादेव कमरूनाग द्वारा शिरकत नहीं करने से सदियों पुरानी परंपरा टूट गई है.

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