करसोग:हिमाचल के करसोग में 12 नवंबर को होने वाले मतदान के लिए चुनाव प्रचार अभियान जोरों पर है. यहां इन दिनों दोनों बड़े राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस के बीच जमीन और सोशल मीडिया पर घमासान मचा है. वैसे हिमाचल की सियासत में हमेशा नारों की गूंज दिखाई दी है.(SLOGANS IN karsog ELECTIONS)
करसोग में नारों पर जोर:करसोग में "घर घर दीप" का एक और नारा चुनावी फिजां में गूंजने लगा है और इस स्लोगन से अब चुनाव प्रचार में जुटे भाजपा कार्यकर्ताओं उत्साह दिखाई दे रहा है. वहीं, कांग्रेस ने अपने प्रतिद्वंदी को सियासी दांव पेंच से चित्त करने के लिए "करसोग से आई आवाज अबकी बार महेश राज" का नारा गढ़ा है.दोनों ही बड़े राजनीतिक दल भाजपा और कांग्रेस इन नारों की धार से जनता को आकर्षित करने प्रयास कर रहे हैं. ऐसे में इन चुनावी नारों से सर्दी की आहट के बीच करसोग में सियासत गरमा रही है.
'जोइया मामा मनदा नईं, कर्मचारी री शुणदा नईं':चुनावी समर में नारों की गूंज जितनी ऊंची होती है, राजनीतिक दलों और नेताओं का जोश उतना ही हाई होता है. भारतीय राजनीति में नारे और खासकर चुनावी नारों ने खूब सुर्खियां बटोरी हैं. हिमाचल में विधानसभा चुनाव से पहले राज्य में OPS की बहाली की मांग को लेकर आंदोलन चला था. उस आंदोलन में ठेठ सिरमौरी बोली में एक नारा उछला और देखते ही देखते सबकी जुबां पर चढ़ गया. ये नारा था- 'जोइया मामा मनदा नईं, कर्मचारी री शुणदा नईं'.
इस नारे में जयराम ठाकुर को मामा कहकर संबोधित किया गया है और कहा गया है कि जयराम मामा मानते नहीं है और कर्मचारियों की सुनते नहीं है. बेशक ये नारा आजकल न के बराबर सुनाई दे रहा है, लेकिन हिमाचल में चुनावी सीजन में कुछ नारे लंबे समय तक चले हैं. कई बार इन नारों ने सत्ता दिलाने में भी अहम भूमिका निभाई है. इस बार नारों का कितना दम दिखेगा यह 8 दिसंबर को जब परिणाम आएंगे तब साफ होगा. (Famous Slogans in Indian Politics) (Slogans in Election) (Popular slogans from Indian political Parties)
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