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छोटी काशी में 40वां श्रावण मास महोत्सव शुरू, लगातार एक महीने तक रूद्र मंदिर में होगा पंचाक्षर जाप

मंगलवार को सक्रांत अवसर पर छोटी काशी में ब्यास नदी के तट पर स्थित भगवान एकादश रूद्र मंदिर में 40वां श्रावण मास महोत्सव शुरू हुआ. इस दौरान रोज यहां विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता और सोमवार के दिन खीर का लंगर लगाया जाता है.

Shravan Festival started in choti kashi mandi

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Published : Jul 16, 2019, 6:35 PM IST

मंडी. छोटी काशी के नाम से विख्यात शिव नगरी मंडी में श्रावण मास महोत्सव धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है. मंगलवार को सक्रांत अवसर पर छोटी काशी में ब्यास नदी के तट पर स्थित भगवान एकादश रूद्र मंदिर में 40वां श्रावण मास महोत्सव शुरू हुआ, जिसका विधिवत शुभारंभ एडीसी मंडी आशुतोष गर्ग ने किया.

बता दें कि मंदिर में एक महीने तक ओम नमः शिवाय का अखंड जाप होगा. मान्यता है कि सावन का महीना भगवान भोलेनाथ का सबसे प्रिय मास है. इस दौरान भगवान शिव अपने भक्तों की नाम मात्र की भक्ति से प्रसन्न हो जाते हैं व श्रद्धालुओं की मनोकामना को जल्द पूरा करते हैं. इसी कारण सावन मास में भगवान भोलेनाथ की भक्ति करने का विशेष फल उनके भक्तों को अवश्य मिलता है.

एकादश रूद्र मंदिर

वहीं, सावन में छोटी काशी के शिव मंदिरों में भक्तों का तांता लगा रहता है और भक्त विभिन्न प्रकार से भोलेनाथ की भक्ति करके उन्हें प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं. इस दौरान श्रद्धालु सुबह से ही मंदिरों में पहुंचना शुरू हो जाते हैं और ये क्रम देर शाम तक जारी रहता है.

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एकादश रूद्र मंदिर के पुजारी स्वामी सत सुंदरम ने बताया कि सावन का मास लोगों में एक नया उत्साह लेकर आता है. ये मास वर्ष में भोलेनाथ का सबसे प्रिय भी माना गया है. उन्होंने बताया कि भगवान इतने भोले हैं कि वे मात्र जल चढ़ाने से ही श्रद्धालुओं की मनोकामना को पूरा कर देते हैं. वहीं, श्रद्धालु भी इस दौरान भोलेनाथ को बेल पत्र, पुष्प, द्रूरवा, दूध, माखन व जल आदि चढ़ाते हैं व बाबा को प्रसन्न करने का पूरी कोशिश करते हैं.

वीडियो

बता दें कि छोटी काशी में एकादश रूद्र मंदिर में हर वर्ष श्रावण मास महोत्सव के दौरान रोज विशाल भंडारे का आयोजन किया जाता है, जिसमें हजारों लोग भगवान भोलेनाथ के प्रसाद को ग्रहण करते हैं. इसके साथ ही यहां पर सोमवार के दिन खीर का लंगर भी लगाया जाता है. ज्योतिष विज्ञान के ज्ञाताओं का मानना है कि गुरू पूर्णिमा और सावन की सक्रांत एक ही दिन होने से लोगों को शुभाशुभ फल मिलने की ज्यादा संभावना रहती है और ऐसा संयोग कभी-कभी ही देखने को मिलता है.

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