मंडीःहिमाचल प्रदेश का मंडी जिला छोटी काशी के रूप में जाना जाता है. मंडी में कुल 81 मंदिर हैं. जिनकी संख्या वाराणसी के मंदिरों से एक अधिक है. मंडी जनपद अपने प्राचीन मंदिरों और देव संस्कृति के लिए मशहूर है. महाशिवरात्रि हिंदुओं का प्रमुख त्योहार है. यह भगवान शिव का प्रमुख पर्व है. पूरे भारतवर्ष सहित छोटी काशी मंडी में भी महाशिवरात्रि पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. इस बार शिवरात्रि महोत्सव मंडी में 12 मार्च से शुरू होगा जो 7 दिनों तक चलेगा. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी पहचान बना चुके मंडी के शिवरात्रि मेले का राज परिवार से गहरा नाता है, जब तक शहर में भगवान माधव राय की पालकी नहीं निकलती तब तक शिवरात्रि महोत्सव की शोभायात्रा नहीं निकाली जाती है.
शोभा यात्रा से पहले निकालती है भगवान माधव राय की पालकी
राज माधव राय को भगवान श्री कृष्ण का रूप माना जाता है, 18 वीं शताब्दी के दौरान राजा सूरज सेन के 18 पुत्रों का निधन हो गया. तब उन्होंने अपना सारा राजपाठ भगवान श्री कृष्ण के रूप राज माधव राय को सौंप दिया और खुद सेवक बन गए. यही कारण है कि आज भी भगवान माधव राय की पालकी, शोभा यात्रा से पहले निकाली जाती है.
शैव, वैष्णव और लोक देवताओं का मिलन
शिवरात्रि महोत्सव की एक मान्यता यह भी है कि इसमें शैव, वैष्णव और लोक देवताओं का मिलन होता है. शैव को भगवान शिव, वैष्णव को भगवान कृष्ण और लोक देवता जनपद के आराध्य देव कमरूनाग को कहा गया है. इन तीन देवताओं की अनुमति के बाद ही शिवरात्रि का महोत्सव शुरू होता है.
सर्व देवता समिति के पास 216 देवी-देवता पंजीकृत
आजादी के बाद धीरे-धीरे सभी देशी रियासतों का विलय भारत में हो गया और राजाओं का राज पाठ भी समाप्त हो गया. राजाओं के राजपाठ की समाप्ति के बाद आज इस शिवरात्रि महोत्सव की बागडोर जिला प्रशासन के हाथों में है. जिले में सर्व देवता समिति के पास 216 देवी-देवता पंजीकृत हैं. इनमें से 200 के करीब देवी-देवता शिवरात्रि महोत्सव में आते हैं. वहीं कुछ देवी-देवता बिना निमंत्रण के भी शिवरात्रि महोत्सव में पहुंचते हैं जो की शिवरात्रि की शोभा को बढ़ाते हैं.