हिमाचल प्रदेश

himachal pradesh

ETV Bharat / state

आज से खुल गए शिकारी माता मंदिर के कपाट, बर्फ के नजारों के बीच सफर करने से पहले जान लें मंदिर का इतिहास - himachal pradesh news

बर्फबारी के चलते बंद हुए शिकारी माता मंदिर के कपाट आज से खुल गए हैं. ऐसे में अब आप बर्फ के नजारों के बीच सफर करके माता के दर्शन के लिए जा सकते हैं. लेकिन इससे पहले मंदिर के इतिहास और यहां के महत्व के बारे में जरूर जान लें...(Shikari Devi Temple in Mandi)

Shikari Devi Temple in Mandi
Shikari Devi Temple in Mandi

By

Published : Mar 20, 2023, 9:57 AM IST

सराज:देवी-देवताओं को धरती हिमाचल प्रदेश की संस्कृति यहां का रहन-सहन और यहां के लोगों की सादगी सभी को आकर्षित करती है. हिमाचल के लोगों में देवी-देवताओं के प्रति विश्वास और आस्था बेहद गहरी है. हिमाचल में अनेंकों मंदिर बने हैं जिनकी अपनी एक कहानी और मान्यता है. जिस पर लोग बेहद विश्वास करते हैं. हिमाचल प्रदेश में कई ऐतिहासिक और चमत्कारिक धार्मिक स्थल मौजूद हैं. ऐसा ही एक धार्मिक स्थल मंडी जिले में भी स्थित है. जंजैहली से 18 किलोमीटर दूर शिकारी देवी मंदिर जो 3359 एमआरटी की ऊंचाई पर बना है.

बर्फबारी के बीच मनमोहक है माता शिकारी का सफर

बर्फबारी के बीच मनमोहक है माता शिकारी का सफर:शिकारी देवी मंदिर ट्रैक रोमांच से भरपूर है. सैलानी दूर दूर से यहां आते हैं. मंडी जिले का सर्वोच्च शिखर होने की वजह से मंडी का क्राउन भी कहा जाता है. शिकारी देवी मंदिर ट्रैक पर घने जंगलों हैं जो सफर को और खूबसूरत बनाते हैं. वहीं, यहां आपको बर्फबारी भी देखने को मिलेगी.

बर्फबारी के चलते बंद हुए मंदिर के कपाट खुल गए:स्थानीय प्रशासन ने नवंबर माह में बर्फवारी के चलते शिकारी माता मंदिर के कपाट बंद कर दिए थे. जिसके कारण लोग यहां नहीं पहुंच पा रहे थे. वहीं, अब स्थानीय थुनाग प्रशासन ने चैत्र नवरात्र शुरू होने से ठीक दो दिन पहले माता शिकारी के कपाट आम जनमानस के लिए खोल दिए हैं. ऐसे में अब भक्त माता के दर्शन कर सकते हैं. सराज लोक निर्माण विभाग की मानें तो जब तक बर्फ पूरी तरह पिघल नहीं जाती तब तक रायगढ़ से शिकारी माता मंदिर तक का सफर बहुत अच्छा और मनमोहन रहेगा.

खुल गए शिकारी माता मंदिर के कपाट

शिकारी माता मंदिर का इतिहास:शिकारी शिखर की पहाड़ियों पर स्थित देवी का यह मंदिर आज भी छत से विहीन है. कहा जाता है कि इस मंदिर का निर्माण पांडवों ने करवाया था. मान्यता के अनुसार मार्कंडेय ऋषि ने इस स्थान पर कई वर्ष तपस्या की थी और उनकी तपस्या से खुश होकर मां दुर्गा अपने शक्ति रूप में स्थान पर स्थापित हुईं. वहीं, बाद में इस स्थान पर अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने भी तपस्या की. पांडवों की तपस्या से खुश होकर मां दुर्गा प्रकट हुई और पांडवों को युद्ध में जीत का आशीर्वाद दिया. उसी समय पांडवों ने मंदिर का निर्माण करवाया, लेकिन किसी कारण इस मंदिर का निर्माण पूरा नहीं हो सका और पांडव यहां पर मां की पत्थर की मूर्ति स्थापित करने के बाद चले गए. यहां पर हर साल सर्दियों में कई फीट बर्फ गिरती है लेकिन मूर्तियों के स्थान पर कभी भी बर्फ नहीं टिकती है. जो किसी चमत्कार से कम नहीं है. कई कोशिशों के बाद भी इस रहस्यमय मंदिर की छत नहीं बन पाई. शिकारी माता खुले स्थान पर आसमान के नीचे रहना ही पसंद करती है.

शिकारी माता दर्शन करने के लिए हर साल यहां पर लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं

शिकारी माता मंदिर की दूसरी कथा:एक अन्य मान्यता के अनुसार यह पूरा क्षेत्र वनों से घिरा हुआ था और यहां पर शिकारी वन्यजीवों का शिकार करने आते थे. शिकार करने से पहले शिकारी इस मंदिर में सफलता की प्रार्थना करते और उनकी मनोकामना पूरी हो जाती. इसी के बाद इस मंदिर का नाम शिकारी देवी पड़ गया. शिकारी माता दर्शन करने के लिए हर साल यहां पर लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं. मंदिर के चारों ओर हरियाली ही हरियाली दिखती है और श्रद्धालुओं के पहुंचने के लिए यहां पर बेहद सुंदर मार्ग बनाया गया है. शिकारी माता मंदिर में पुजारी सुरेश सिंह ने बताया कि बारिश, आंधी, तूफान और बर्फबारी में भी शिकारी माता खुले आसमान के नीचे रहना ही पसंद करती हैं. उन्होंने बताया कि माता की पिंडियों पर कभी भी बर्फ नहीं टिकती है और इस बार भी ऐसा ही हुआ है. इन दिनों शिकारी देवी में बर्फ पड़ी हुई है.

बर्फ के नजारों के बीच खूबसूरत बनाएं अपना सफर

श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए प्रशासन ने किए इंतजाम: एक्सन लोक निर्माण विभाग बलवीर सिंह ठाकुर ने बताया कि स्थानीय प्रशासन के आदेशानुसार पिछले सप्ताह ही रायगढ़ से माता शिकारी तक कुल 6 किलोमीटर रास्ते को बहाल कर दिया गया था. श्रद्धालुओं को कोई दिक्कतें न आए इसके लिए विभाग की जेसीबी मशीन सफाई करने फिर भेजी गई है. वहीं, एसडीएम थुनाग और माता शिकारी मंदिर कमेटी के अध्यक्ष पारस अग्रवाल ने कहा कि हर वर्ष की भांति भी इस बार भी बर्फबारी के चलते माता के कपाट बंद कर दिए थे. लेकिन लोक निर्माण विभाग के सहयोग से इस बार सड़क मार्ग 18 मार्च को बहाल हो गया है. जिसके बाद प्रशासन ने मंदिर के कपाट खोल दिए हैं. पिछली बार की अपेक्षा इस बार पहले कपाट खुल गए हैं. उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं को कोई दिक्कतें न आए इसके लिए प्रशासन ने पुख्ता इंतजाम किए हैं.

ये भी पढ़ें:हिमाचल में बदला मौसम का मिजाज, वापस लौटी ठंड, 24 मार्च तक मौसम रहेगा खराब

ABOUT THE AUTHOR

...view details