करसोग: हिमाचल के विभिन्न क्षेत्रों में मौजूद कई मंदिर आज भी अपने में गहरे रहस्य समेटे हुए हैं. ऐसा ही एक प्रसिद्ध प्राचीन मंदिर जिला मंडी के तहत करसोग में स्थित है. हिमाचल प्रदेश के प्रसिद्ध मंदिरों में एक कामाक्षा मंदिर में 21 अक्टूबर को अष्टमी की रात माता का मेला लगेगा. जिसमें मध्य रात्रि में माता साल में एक बार भक्तों को दर्शन देगी. ये मंदिर माता कामाक्षा के नाम से प्रसिद्ध है. वैसे तो यहां साल भर प्रदेश समेत देशभर से श्रद्धालु माता के दर्शनों के लिए आते हैं, लेकिन इन दिनों शारदीय नवरात्रि में माता के दर्शनों का विशेष महत्व बताया गया है. जिला मंडी के करसोग तहसील मुख्यालय से कुछ ही मीटर की दूरी पर काओ नामक स्थान पर पांडवों के काल से संबंध रखने वाला कामाक्षा मंदिर शिल्प कला का उत्कृष्ट उदाहरण है.
देशभर में माता के 3 मंदिर: हर मनोकामना को पूर्ण करने वाली कामाक्षा माता को 10 महाविद्याओं की देवी भी कहा जाता है. जिला मंडी के करसोग तहसील मुख्यालय से कुछ ही मीटर की दूरी पर काओ नामक स्थान पर पांडव काल से संबंध रखने वाला कामाक्षा मंदिर शिल्पकला का उत्कृष्ट उदाहरण है. लकड़ी पर नक्काशी से बने इस प्रसिद्ध मंदिर में माता अष्टधातु की मूर्ति के रूप में विराजमान है. देशभर में कामाक्षा माता के केवल 3 ही मंदिर हैं. जहां अलग अलग रूपों में माता की पूजा होती है.
ये है मान्यता: बताया जाता है कि माता सती जहां पर टुकड़ों के रूप में गिरी थी, वहां माता के प्रसिद्ध मंदिर विद्यमान हैं. इसमें मुख्य मंदिर भारत के उत्तर पूर्व दिशा में असम में स्थित है. यहां इस मंदिर को कामाख्या मंदिर नाम से जाना जाता है. मान्यता है कि यहां माता सती के शरीर का एक टुकड़ा योनि रूप में गिरा था, इसलिए आसाम में माता को योनि रूप में कामाख्या के नाम से जाना जाता है. दूसरा मंदिर कांचीपुरम में स्थित है. जहां माता को ज्योति रूप पूजा जाता है और माता को कामाक्षी कहा जाता है. माता का तीसरा स्थान करसोग के काओ में है. यहां माता को कामाक्षा नाम से पूजा जाता है.