करसोग: हिमाचल में शिक्षा के क्षेत्र में हैरान करने वाली खबर सामने आई है. यहां जिला मंडी के अंतर्गत करसोग में सीनियर सेकेंडरी स्कूल तत्तापानी में पिछले करीब दो महीने से नॉन मेडिकल के टीचरों की तैनाती ना होने से सभी 16 छात्रों ने स्कूल को छोड़ दिया है. भविष्य को लेकर चिंतित अभिभावकों ने स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट लेकर जिला शिमला के तहत पढ़ने वाले सीनियर सेकेंडरी स्कूल सुन्नी में बच्चों की एडमिशन करवा ली है. इस तरह प्रदेश सरकार की उच्च गुणवत्ता की शिक्षा प्रदान करने के दावों पर भी लोगों ने सवाल उठाने शुरू कर दिए हैं.
अप्रैल में बैठी नॉन मेडिकल की क्लास: प्रदेश सरकार ने लोगों की मांग पर सीनियर सेकेंडरी स्कूल तत्तापानी में इसी साल नॉन मेडिकल की क्लास तो बैठा दी, लेकिन हैरानी की बात है कि सरकार स्कूल में टीचर भेजना ही भूल गई. ऐसे में करीब दो महीने से टीचर का इंतजार कर थक चुके अभिभावकों ने स्कूल लिविंग सर्टिफिकेट लेकर अब मजबूरन बच्चों की एडमिशन सीनियर सेकेंडरी स्कूल सुन्नी में करा दी है. तत्तापानी स्कूल में 16 छात्रों ने नॉन मेडिकल में एडमिशन ली थी. जिन्होंने मैथ, फिजिक्स और केमिस्ट्री आदि विषयों के टीचर न भेजे जाने पर सभी छात्रों ने स्कूल छोड़ दिया है. अब बच्चों में शिक्षा ग्रहण करने के लिए मजबूरन कई किलोमीटर का सफर तय करके सुन्नी स्कूल पहुंचना पड़ रहा है. जिसमें छात्रों का कीमती समय भी बर्बाद हो रहा है.
एक महीने से प्रिंसिपल का पद भी खाली: अभिभावकों की समस्या केवल नॉन मेडिकल के टीचर न होने से ही खत्म नहीं होती. तत्तापानी स्कूल में प्रिंसिपल का पद भी करीब एक महीने से खाली है. यही नहीं नॉन मेडिकल की क्लासें भी टीजीटी ले रहे थे. ऐसे में बच्चों के भविष्य से हो रहे खिलवाड़ को रोकने के लिए अभिभावकों ने स्कूल को बदलना बेहतर समझा. हालांकि अभिभावक लंबे समय से नॉन मेडिकल में सभी विषयों के शिक्षकों की तैनाती की मांग कर रहे थे. इसके लिए विभिन्न मंचों के माध्यम से मामले को उठाया जा चुका है. हैरानी की बात है की क्वालिटी एजुकेशन के दावा करने वाली सरकार अभिवावकों की मांग को लेकर गंभीर नजर नहीं आ रही है.