करसोग: हिमाचल सरकार की स्वरोजगार योजना से लोगों की आर्थिक स्थिति मजबूत होने के साथ ही जीवन स्तर में भी सुधार आ रहा है. खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं स्वरोजगार से जुड़ कर आत्मनिर्भर हो रही है. कुछ ऐसी ही कहानी है, कलैहणी गांव की संतोषी देवी की. जिन्होंने राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत खंड विकास कार्यालय में मशरूम की जैविक खेती का 10 दिन का प्रशिक्षण लिया. जिसके बाद 500 की लागत से ढीगंरी मशरूम की जैविक खेती शुरू की और आज वह हर माह 5 हजार कमा रही है. साथ ही अन्य महिलाओं को भी प्रेरित कर रही है.
घर में 17 बैगों से शुरू की मशरूम की खेती:प्रशिक्षण लेने के बाद संतोषी देवी ने घर पर ही ढीगंरी मशरूम की खेती शुरू की. 12वीं पास संतोषी देवी ने एक कमरे में 17 बैगों से ढीगंरी मशरूम की जैविक खेती को अपनाया. जिसमें उन्हें उम्मीद से कहीं ज्यादा सफलता मिल रही है. आम तौर पर मशरूम तैयार होने के बाद से 3 बार फसल ली जाती है, लेकिन संतोषी देवी एक बार फसल लगाने के बाद 4 से 5 बार कटाई कर अच्छी आय अर्जित कर रही हैं.
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