सुंदरनगर: कोरोना से बचने के लिए दुनिया भर में वैक्सीन तैयार की जा रही है, लेकिन जब तक इस महामारी की दवा नहीं आती तब तक बचाव और ऐहतियात की इस महामारी से बचने का एक मात्र तरीका है. मरने के बाद भी किसी व्यक्ति के शरीर में कोरोना वायरस तब तक ही जिंदा रह सकता है, जब तक कि व्यक्ति के शरीर में फ्लूड यानी तरल रहता है. इसलिए डब्लूएचओ और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना संक्रमितों के शवों के अंतिम संस्कार के लिए भी गाइडलाइन जारी की हैं.
एसडीएम बल्ह आशीष शर्मा ने बताया कि कोरोना संक्रमित की मौत होने पर मेडिकल कॉलेज नेरचौक का मुख्य किरदार रहता है. कोरोना संक्रमित शवों का अंतिम संस्कार करना भी चुनौती भरा काम है. जिसे स्वास्थ्य महकमे के लोग बखूबी निभा रहे हैं. डेडिकेटेड कोविड अस्पताल नेरचौक में कोविड पॉजिटिव डेडबॉडी के लिए अस्पताल प्रबंधन के पास पर्याप्त मात्रा में सैनिटाइजेशन के संसाधन मौजूद हैं.
बता दें कि कोविड पॉजिटिव डेडबॉडी को सेनिटाइज करने के लिए सोडियम हाइपोक्लोराइट का इस्तेमाल किया जाता है. इस सेनिटाइजर का घोल का अनुपात 1:9 रहता है, जिसमें 9 लीटर पानी में एक लीटर सोडियम हाइपोक्लोराइट का इस्तेमाल किया जाता है. कोरोना संक्रमित की मौत होने पर बॉडी के लिए स्टैंडर्ड पैरामीटर के हिसाब से सेनाटाइजेशन किया जाता है. इसके लिए अस्पताल के कर्मियों को भी पूरी ट्रेनिग दी गई है.