मंडीः भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी की एक शोध टीम ने डॉ. सुमित सिन्हा राय, असिस्टेंट प्रोफेसर, स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग के नेतृत्व में बायोपाॅलीमर आधारित मटेरियल से फाइब्रस मेंब्रेन फिल्टर का विकास किया है जो पानी से हेवी मेटल बाहर निकाल देगा. इस शोध के परिणाम प्रतिष्ठित ऐलसेवियर जर्नल पॉलीमर में हाल में प्रकाशित किए गए. शोध पत्र के सह-लेखक डॉ. सिन्हा राय और उनके शोध विद्वान आशीष काकोरिया के साथ डॉक्टर सुमन सिन्हा रॉय, एडजंक्ट असिस्टेंट प्रोफेसर, यूनिवर्सिटी आफ इलिनॉय, शिकागो हैं.
मनुष्यों में की कई दिमागी समस्याओं का कारण है हेवी मेटल
एसिड माइन ड्रेनेज में भारी मात्रा में हेवी मेटल होना बहुत बड़ा खतरनाक है. पानी में हेवी मेटल मनुष्यों में की कई दिमागी समस्याओं जैसे अल्जाइमर, पार्किंसन और मल्टीप्ल स्क्लेरोसिस की बड़ी वजह है. इसलिए जलाशयों में जाने से पूर्व कचरा जल के उपचार के लिए ऐसे फिल्टर का विकास करना आवश्यक है जो जल प्रदूषण नहीं होने दे.
हेवी मेटल का प्रदूषण एक गंभीर समस्या
पानी में हेवी मेटल का प्रदूषण एक गंभीर चिंता की बात है. भारत के गंगा बेसिन में आर्सेनिक प्रदूषण की बढ़ती समस्या हम सभी जानते हैं. डाॅ. सुमित सिन्हा रॉय ने कहा कि भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान अकादमी की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में प्रदूषण और सेहत के लिए अधिक खतरनाक मेटलों में प्रमुख हैं लेड, मर्करी, क्रोमियम, कैडमियम, कॉपर और एल्युमीनियम जो मानवीय गतिविधियों जैसे माइनिंग, उत्पादन, इलेक्ट्रोप्लेटिंग, इलेक्ट्रॉनिक्स और फर्टिलाइजर उत्पादन आदि की प्रक्रिया में पानी में प्रवाहित हो जाते हैं.