मंडी: अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव में शाही जलेब में सबसे आगे चलने वाले देव छाजणू और देव छमाहू का आपस में गुरु चेले का नाता है. मान्यता है कि यह दोनों देवता बड़ी विपत्तियों को हरने वाले हैं. दोनों का रिश्ता भी आपस में गुरु चेले का है. सदियों से शाही जलेब में दोनों के देवरथ एक साथ ही सबसे आगे चल रहे है.
देव दर्शन के लिए भी ऐतिहासिक पड्डल मैदान में दोनों देवता एक साथ विराजमान रहते हैं. देव छाजणू को महाभारत के बलशाली योद्धा घटोत्कच का अवतार माना जाता है, जबकि देव छमाहू को शेषनाग का अवतार माना जाता है. देव छाजणू का मूल मंदिर सराज के बाली चौकी क्षेत्र में है.
देवता के कारदार गोविंद ने देवता के मूल मंदिर पर स्थित रहस्यमई झील के बारे में जानकारी दी. छाजणू देवता 70 किलोमीटर दूर से शिवरात्रि महोत्सव में भाग लेने के लिए हर साल पहुंचते हैं. कारदार गोविंद राम ने बताया कि देवता के मूल स्थान पर ऐसी झील है, जिसमें हजारों लोग अपनी मन्नत मांगने के लिए आते हैं.
मान्यता है कि अगर साफ मन और सच्ची श्रद्धा से कोई इस झील में कोई तिनका भी फेंके तो वह डूब जाता है, जबकि अगर श्रद्धा सच्ची नहीं है तो यहां पर फेंका हुआ लोहा भी झील में तैर जाता है और अपने आप झील से बाहर निकल जाता है.
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