शिमला:सियासत में किस्मत कब बदल जाए, कोई नहीं जानता. साल 2017 के चुनाव में जयराम ठाकुर ने सिराज सीट से चुनाव जीता. प्रचार के दौरान ये जरूर सामने आया था कि जयराम ठाकुर संगठन से लेकर सरकार में अहम पदों पर रहे और सिर्फ एक पोस्ट बची है, जिस पर ताजपोशी होनी है. उस समय ये किसी ने नहीं सोचा था कि दिसंबर 2017 में वो बात सच हो जाएगी. जयराम ठाकुर के नाम का चयन सीएम पद के लिए किया गया. अब पांच साल हो गए हैं और फिर से चुनाव की बेला आ गई है. (Political journey of jairam thakur) (Himachal Assembly Election 2022)
मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर (CM Jai Ram Thakur) सिराज से नामांकन दाखिल कर दिया है. लगातार 5 बार विधानयक बन चुके जयराम ठाकुर की साख इस बार मुख्यमंत्री के रूप में दांव पर है. इस मौके पर अगर अतीत में झांकें तो जयराम ठाकुर के पहले चुनाव की तस्वीर उभरती है. जो जयराम ठाकुर की कहानी का 3 दशक पुराना पहलू है. जब एक युवा नौजवान खुद को साबित करने के लिए सियासी रण में उतरा था. जयराम ठाकुर अपना पहला चुनाव हार गए थे, तब वो चच्योट विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था. जयराम ठाकुर ने अपनी चुनावी राजनीति की पारी की शुरुआत बेहद रोचक और संघर्षपूर्ण तरीके से की थी. (Jairam Thakur Nomination)
बेहद गरीबी में कटा बचपन:जयराम ठाकुर का जन्म 6 जनवरी, 1965 को मंडी (Mandi) जिले के तांदी गांव में हुआ था. उनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव से ही हुई है. मंडी के बल्लभ कॉलेज से स्तानक तक की पढ़ाई पूरी की. छात्र जीवन में ही उन्होंने एबीवीपी का दामन थाम लिया और छात्र राजनीति में उनके कैरियर की शुरुआत की. उनका बचपन बेहद गरीबी में कटा है. उनके परिवार में तीन भाई और दो बहनें हैं, पिता खेतीबाड़ी और मजदूरी कर परिवार का पालन-पोषण करते थे.
पार्टी के वरिष्ठ नेताओं किया जयराम से किनारा: साल 1993 में युवा जयराम ठाकुर को जब सिराज (तब चच्योट) से टिकट मिला तो पार्टी के सीनियर लीडर्स लोगों को ये बात हजम नहीं हुई. अकसर बदलाव के दौर में ऐसा होता ही है. बेशक युवा चेहरों को मौका मिलना चाहिए लेकिन वरिष्ठ नेता इसे सहजता से स्वीकार नहीं करते. उस समय जयराम ठाकुर के साथ भी ऐसा ही हुआ था, सीनियर नेताओं ने युवा नेता से किनारा किया था.
हमेशा नई तस्वीर बनाते हैं युवा:उस समय भी चच्योट में कुछ उत्साही युवाओं ने उनके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चुनावी रण में जोर शोर से उतरकर अपनी उपस्थिति दर्ज की. बेशक जयराम ठाकुर पहला चुनाव कांग्रेस नेता मोतीराम ठाकुर से हार गए लेकिन उसी चुनाव ने उनके लिए राजनीति का स्वर्णिम भविष्य लिख दिया था. उसके बाद साल 1998 का चुनाव आया और जयराम ठाकुर को पहली जीत मिली. उसके बाद जयराम ठाकुर ने राजनीति के सफर में कभी पीछे मुडक़र नहीं देखा. लगातार पांच चुनाव जीतकर साल 2017 में मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठे. अब उनकी चुनावी जीत का सिक्सर लगाने की उम्मीद है.