करसोग: करसोग बाजार में रोजाना लगने वाले ट्रैफिक जाम से जल्द ही लोगों को निजात मिल सकती है. इसके लिए करसोग बस स्टैंड से करीब 150 मीटर पीछे गैस एजेंसी से बरल के लिए नया बाईपास बनाया जाएगा, जिससे वाहनों चालकों को लंबा चक्कर न काटना पड़े. इससे बाजार में ट्रैफिक दवाब कम होने के साथ तहसील सहित एसडीएम कार्यलय की ओर जाने की दूरी भी कुछ कम होगी, जिससे वाहनों में डीजल और पेट्रोल की खपत भी घटेगी.
करसोग बाजार से रोजाना सैकड़ों वाहन गुजरते है. ऐसे में हर साल डीजल और पेट्रोल की काफी बजत भी होगी. बाजार में जाम लगने से वाहनों का काफी तेल बर्बाद हो जाता है. इससे पर्यावरण को प्रदूषण मुक्त बनाने में भी मदद मिलेगी. प्रशासन ने सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए अपनी प्रक्रिया तेज कर ली है.
बाईपास निर्माण के लिए लोक निर्माण विभाग ने करीब 5 करोड़ की डीपीआर तैयार की है. इसके अतिरिक्त कार्य में तेजी लाने के लिए लिए 25 लाख की राशि पहले ही जारी की जा चुकी है. बाईपास के सर्वे को लेकर कुछ लोग विरोध भी कर रहे हैं. इस समस्या को बातचीत के माध्यम से प्रशासन ने सुलझाने का प्रयास शुरू कर दिया है.
बाईपास के निर्माण से करसोग बाजार में लंबे समय से चली आ रही ट्रैफिक समस्या समाप्त हो सकती है. लगातार बढ़ रहे ट्रैफिक के कारण करसोग में जरूरी कार्य से आने वाले लोग अकसर जाम में फंसकर परेशान होते हैं, जिसे देखते हुए जनता लंबे समय से बाईपास निर्माण की मांग कर रही है.
जान के लिए आफत बन सकता है जाम:
करसोग में लगने वाला जाम लोगों की जान पर भारी पड़ सकता है. यहां जाम के बीच कई बार एम्बुलेंस भी फंस चुकी है. हाल ही में पांगणा से करसोग सिविल अस्पताल लाई जा रही गर्ववती महिला जाम में फंस गई थी, जिस कारण महिला प्रसव पीड़ा से करीब 20 मिनट एम्बुलेंस में ही तड़पती रही और खों मुश्किलों के बाद पुलिस की सहायता से जाम खोला गया.
इसी तरह एक बुजुर्ग को करसोग सिविल अस्पताल से आईजीएमसी के लिए रेफर किया गया था. बजुर्ग को शिमला ले जा रही एम्बुलेंस करसोग बस स्टैंड में ट्रैफिक जाम में फंस गई थी, जिस कारण मरीज के साथ तीमारदारों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा था.
वहीं, करसोग विधायक हीरालाल का कहना है कि करसोग में बहुत बड़ा बाजार बन चुका है, जहां जाम समस्या हो रही है. विधायक ने बाईपास को विधायक प्राथमिकता में डाला गया था, लेकिन अब दूसरी बार विधायक बनने पर भी बाईपास को विधायक प्राथमिकता में लिया गया है. इसकी डीपीआर बन गई है, जिसे प्लानिंग में भेजा गया है.