करसोग/मंडी: हिमाचल प्रदेश की ऐतिहासिक नगरी पांगणा से करीब दो किलोमीटर दूर खलेडी खड्ड के तट पर बही-सरही धार के आंचल में बसे एक छोटे से गांव सुई में आज भी सामुहिक दिवाली की दीर्घकालीन परंपरा को जीवित है. प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर सुंई गांव की आबादी करीब 300 है. सुंई गांव में दिवाली मनाने की परंपरा अनूठी है. देश प्रदेश भर में जहां लोग अपने-अपने घरों में दिवाली का आयोजन करते हैं. वहीं, सुंई वासी अपनी पुरानी परंपराओं, रीति-रिवाज के मुताबिक गींहनाग के रथ की उपस्थिति में रातभर दिवाली का आयोजन करते हैं.
दिवाली की रात को सामूहिक दिवाली के इस आयोजन के लिए सैकड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है. सुंई निवासी सेवानिवृत कानूनगो अगरसिंह का कहना है कि दीपावली के इस अवसर पर पहले-पहल देवता के देवलु अपने-अपने घरों से रोटियां लाकर रात्रि भोजन करते थे. धीरे-धीरे यह परंपरा टूट गई. फिर देवलुओं को सुंई गांव के हर परिवार में रात ओर अगले दिन का भोजन परोसा जाता है.
सोमवार को गांववासी देवलुओं को प्रेम पूर्वक एक ही स्थान पर सामूहिक योगदान से स्वादिष्ट भोजन की व्यवस्था करते हैं. इस सामूहिक दिवाली के लिए एक कमेटी का गठन किया गया है. जिस स्थान पर सामूहिक दिवाली का आयोजन किया जाता है. वह स्थान चारों ओर से खुला आंगन है.