मंडी/करसोग: वैश्विक महामारी कोरोना का असर देश और प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर पड़ने लगा है. प्रदेश में कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने में जुटी सरकार के सामने लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाना एक चुनौती है. ऐसे में लोगों को आर्थिक संकट से बाहर निकालने को लेकर मनरेगा में कुछ नए फैसले लिए गए हैं.
इसके तहत करसोग उपमंडल में मनरेगा में परिवार के एक ही सदस्य को रोजगार मिलेगा. इसका मकसद मुश्किल घड़ी में हर परिवार को रोजगार के अवसर उपलब्ध करवाना है, ताकि लोगों को किसी भी तरह की परेशानियों का सामना न करना पड़े.
प्रदेश में कोरोना संक्रमण का खतरा पूरी तरह खत्म होने के बाद परिवार के अन्य सदस्य भी रोजगार की मांग कर सकते हैं. मनरेगा के तहत सरकार एक परिवार को 120 दिनों का रोजगार उपलब्ध करवा रही है. विकासखंड में अभी 116 मस्टर रोल जारी हुए हैं, जिसमें विभिन्न पंचायतों में 830 लोगों को रोजगार दिया गया है.
ये लोग अब मनरेगा में कार्य कर घर परिवार की रोजी रोटी चला रहे हैं. मनरेगा में सरकार की ओर से जारी एडवाइजरी की पूरी पालना की जा रही है. इसके लिए हर काम पर एक निगरानी अधिकारी नियुक्त किया गया है. चालू वित्त वर्ष में 107.66 की शेल्फ अप्रूव विकासखंड से वित्त वर्ष 2020-21 के लिए हुआ है.
ऐसे में चालू वित्त वर्ष में करसोग में मनरेगा के तहत जमकर धनवर्षा होने वाली है. इसके तहत कुल 9534 कार्य किए जाने प्रस्तावित हैं. महोग पंचायत में सबसे अधिक 9 करोड़ 40 लाख 81 हजार की शेलफ मंजूर हुई है. इसके अंतर्गत पंचायत में 936 कार्य होने प्रस्तावित हैं.
इसके बाद दूसरे नंबर पर ग्राम पंचायत कांडी सपनोट है. यहां के लिए मनरेगा में 6 करोड़ 70 लाख 46 हजार की शेलफ अप्रूव हुई है. इसके तहत पंचायत में 471 कार्य किए जाने हैं. सराहन पंचायत के लिए 4 करोड़ 65 लाख 1 हजार की शेलफें स्वीकृत हुई है. इससे पंचायत में 325 कार्य किए जा सकेंगे.
चौथे नंबर पर शैधल पंचायत से भेजी गई 3 करोड़ 98 लाख 15 हजार की शेल्फों को मंजूरी मिली है. इस पैसे से कुल 268 कार्य किए जाने हैं. टॉप फाइव में तेबन पंचायत भी शामिल है. यहां के लिए 3 करोड़ 84 लाख 50 हजार शेलफें मंजूर हुई है. इससे पंचायत में 200 स्कीमों को पूरा किया जाना प्रस्तावित है.
पिछले वित्त वर्ष में मनरेगा के तहत 103 करोड़ 94 हजार 75 हजार की शेल्फ अप्रूव हुई थी. बीडीओ राजेंद्र सिंह तेजता का कहना है कि कोरोना को देखते हुए परिवार में एक सदस्य को रोजगार दिया जा रहा है. अगर कहीं पर लेबर की कमी है, उस स्थिति में परिवार के दूसरे सदस्य को काम दिया जा सकता है. मनरेगा में कार्य के दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ख्याल रखा जा रहा है.