करसोग: जिला मंडी के करसोग उपमंडल में बाइपास के निर्माण के लिए नाबार्ड को भेजी गई 4.83 करोड़ की डीपीआर में ऑब्जेक्शन लग गया है. ऐसे में स्थानीय विधायक हीरालाल ने अब नए सिरे से बाइपास का एस्टिमेट तैयार करने के आदेश जारी किए हैं.
करसोग बाजार में जाम की समस्या से छुटकारा पाने के लिए लोगों को अभी और इंतजार करना होगा. पीडब्ल्यूडी विभाग की ओर से बाईपास निर्माण के लिए भेजी गई 4.83 करोड़ की डीपीआर को नाबार्ड ने ऑब्जेक्शन लगाकर वापस भेज दिया है. ऐसे में अब बाइपास के निर्माण का कार्य अभी लटक गया है.
करसोग बाजार में रोजाना लगने वाले जाम की समस्या से निपटने के लिए पीडब्ल्यूडी विभाग ने सिविल सप्लाई के गैस गोदाम से बरल पुल तक 1.30 किलोमीटर बाइपास की डीपीआर तैयार करके नाबार्ड को स्वीकृति के लिए भेजी थी, जिसके निर्माण कार्य के लिए अनुमानित लागत 4.83 करोड़ की आंकी गई थी, लेकिन यह डीपीआर नाबार्ड के पैरामीटर के हिसाब में सही नहीं पाई गई. जिसको देखते हुए नाबार्ड ने डीपीआर में ऑब्जेक्शन लगाकर वापस भेज दिया है.
ऐसे में पीडब्ल्यूडी विभाग अब बाइपास निर्माण कार्य के नए सिरे से एस्टीमेट तैयार करेगा. इस बारे में जरूरी दिशा निर्देश जारी किए गए हैं. स्थानीय विधायक ने भी जाम की समस्या से जल्द निजात दिलाने के लिए विभाग को जल्द से जल्द एस्टीमेट तैयार करने का अल्टीमेटम जारी किया.
बता दें कि नाबार्ड का प्रति किलामीटर सड़क निर्माण की कॉस्ट को लेकर अपने पैरामीटर तय हैं. इसके मुताबिक नाबार्ड का प्रति किलोमीटर सड़क निर्माण पर अधिकतम 1.50 करोड़ का शेड्यूल निर्धारित है. इस हिसाब से करसोग बाइपास की कॉस्ट नाबार्ड के तय पैरामीटर से काफी अधिक बैठ रही थी. जिस कारण नाबार्ड ने डीपीआर को अस्वीकार कर दिया.
डंगे पर अधिकतर बाईपास का निर्माण तभी बढ़ी कोस्ट
सिविल सप्लाई गैस गोदाम से बरल पुल तक प्रस्तावित बाइपास न्यारा गांव से होकर निकाला जाना है. जिस जगह से बाईपास बनाया जाना है, यह जगह खड्ड के किनारे पड़ती है. ऐसे में अधिकतर बाइपास डंगे पर तैयार होना है. जिससे बाईपास की कोस्ट अधिक बढ़ गई है. इसको देखते हुए अब पीडब्ल्यूडी विभाग को नए सिरे से डीपीआर तैयार करनी होगी.