करसोग: हिमाचल के शांत पहाड़ों से आए दिन उठ रही चीखों पुकार के बाद भी नीति नियताओं की नींद नहीं टूटी है. इसका बड़ा उदाहरण कंसाली नाला के समीप वो पहाड़ी है, जो पिछली बरसात में भारी भूस्खलन के बाद लोगों की जान के लिए अब और भी खतरा बन गई है.
हालांकि हमेशा की तरह इस बार भी मानसून सीजन की तैयारियों को लेकर आयोजित हुई बैठकों में पीडब्ल्यूडी विभाग ने हर स्थिति से निपटने का दावा किया है, लेकिन पिछले बरसात में हुए नुकसान की भरपाई के लिए कितने प्रयास हुए हैं, इस ओर किसी का ध्यान तक नहीं है. पिछली बार कंसाली नाला के समीप भारी भूस्खलन के बाद यहां मोड़ और भी खतरनाक हो गया है, लेकिन पीडब्ल्यूडी विभाग से एक साल में रिटेनिंग वॉल तक नहीं लग पाई है.
पिछली साल अक्टूबर महीने में इसी तीखे मोड़ पर एक सुंदरनगर से करसोग आ रही एक प्राइवेट बस का एक्सल टूटने के बाद लोगों ने दोनों ओर से 8 घंटे ट्रैफिक रुकने से जो परेशानी झेली थी, उसके बाद विभाग ने जरूर पहाड़ी के बाहरी हिस्से से मिट्टी और कुछ पत्थर हटाए गए थे, लेकिन यहां भारी बारिश में भूस्खलन के खतरे को हमेशा के लिए खत्म किया जाए, ऐसा कोई प्रयास पीडब्ल्यूडी ने अभी तक नहीं किया है.